नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, यह पर्व दीवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है।इस दिन विशेष रूप से यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, को प्रसन्न करने के लिए एक दीपक (यम का दीप) जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक और श्रद्धा से दीप जलाने से अकाल मृत्यु, विपत्तियां और बाधाएं दूर हो जाती हैं।अगर इस दिन सही विधि और श्रद्धा से यम का दीप जलाया जाए, तो यमदेवता प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को दीर्घायु व आरोग्यता का आशीर्वाद देते हैं।
नरक चतुर्दशी का महत्व

जैसा ही हम सभी जानते हैं, छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम की पूजा करने से जातक अकाल मृत्यु से बच सकता है। यह मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय भी है। ऐसा भी कहा जाता है, कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से आपको रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी 2025 मुहूर्त
नरक चतुर्दशी सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 को
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2025 को 01:51 पी एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
नरक चतुर्दशी पूजा विधि

- नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य उदय से पहले स्नान करने का महत्व है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करना शुभ होता है
- स्नान करने के बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाया जाता है।
- स्नान के बाद हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना की जाती है। कहते हैं ऐसा करने से मनुष्य द्वारा वर्ष भर में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है।
- इस दिन शाम के समय यमराज के निमित्त तेल का दीया मुख्य द्वार से बाहर की दक्षिण दिशा की तरफ जलाया जाता है।
- छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल का दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर और कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रखने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
नरक चतुर्दशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक एक राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवता और साधु संतों को परेशान कर दिया था। नरकासुर का अत्याचार इतना बढ़ने लगा कि उसने देवताओं और उस समय के संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर समस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सभी को नरकासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार स्त्रियों को आजाद कराया और उनसे विवाह किया। बाद में ये सभी स्त्रियां भगवान श्री कृष्ण की 16 हजार पटरानियों के नाम से जानी जानी गईं। नरकासुर के वध के बाद लोगों ने कार्तिक मास की अमावस्या के साथ चतुर्दशी को भी घरों में दीये जलाए और तभी से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
नरक चतुर्दशी के दिन क्या करें

- नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी और यम की पूजा करें।
- इसके अलावा भगवान कृष्ण की भी पूजा करने का विधान है।
- घर की विशेष सफाई करें।
- घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- संध्याकाल में दीपक जलाएं।
- घर में से खराब चीजों का हटा दें।
- पूजा के दौरन मंत्रो का जप करें।
नरक चतुर्दशी के दिन क्या न करें

- नरक चतुर्दशी के दिन घर को गंदा न रखें।
- किसी से वाद-विवाद न करें।
- बड़े-बुजुर्ग और महिलाओं का अपमान न करें।
- धन की बर्बादी न करें।
- तामसिक चीजों का सेवन न करें।
- गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र समेत आदि चीजों का दान करें।
- घर को लाइट और दीपक से सजाएं।






