
शिव खोड़ी मंदिर , जम्मू और कश्मीर
शिव खोड़ी (Shiv Khori) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रियासी ज़िले में स्थित एक हिन्दू धार्मिक महत्व वाली गुफा है। यह संगर गाँव में स्थित है और शिव जी को समर्पित है। इसमें एक प्राकृतिक शिवलिंग स्थित है। यह शिवालिक पर्वतमाला में स्थित है और वर्ष के बाराह महीनों में शिव-भक्तों के लिए एक प्रमुख श्रद्धा-केन्द्र है। महाशिवरात्रि में यहाँ एक बड़ा मेला आयोजित होता है। इस पूरे क्षेत्र में अति-प्राचीन मन्दिरों के कई अवशेष बिखरे हुए हैं।
शिव खोड़ी मंदिर का इतिहास

शिव खोड़ी का इतिहास पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं का एक मिश्रण है, जिसकी शुरुआत भगवान शिव के भस्मासुर से बचने के लिए इस गुफा में छिपने से होती है। मान्यता है कि शिव जी ने त्रिशूल से जिस पर्वत पर प्रहार किया था, उससे यह गुफा बनी थी। कई संत इस गुफा में रहकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते थे, और लगभग 100 साल पहले एक मुस्लिम चरवाहे ने अन्य संतों को देखकर इसकी खोज की थी।
शिव खोड़ी मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
खुलने का समय: सुबह 5:00 बजे
बंद होने का समय: शाम 7:00 बजे
शिव खोड़ी मंदिर पूजा का समय

सुबह की आरती: 7 बजे – 8 बजे
शाम की आरती: 7 बजे – 8 बजे
शिव खोड़ी मंदिर की वास्तुकला

खोरी अर्थात “गुफा”, यहाँ शिव खोरी से तात्पर्य है भगवान शिव की गुफा। भगवान शिव की यह गुफा डमरू के आकार की बनी है, जो दो छोरों से चौड़ी व बीच से संकरी है। कुछ हिस्सों पर श्रद्धालुओं को झुककर प्रवेश करना होता है। शिव खोरी का प्रमुख आकर्षण स्वयं अवतरित शिवलिंग तो है ही, साथ ही यहाँ 33 करोड़ देवी देवताओं की पिंडी स्वरुप आकृतियाँ हैं जिन्हें ध्यानपूर्वक देखने पर पहचाना जा सकता है। शिवलिंग पर चट्टानों से गिरता दूधिया द्रव्य पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है। गुफा में माँ पार्वती, भगवान कार्तिकेय, पञ्चमुखी भगवान गणेश, राम दरबार, कामधेनु, माँ काली, माँ सरस्वती और अन्य देवी देवताओं सहित पांडवों की भी पिंडियाँ मौजूद हैं। गुफा की छत पर ओम, त्रिशूल और छह मुखी शेषनाग के चित्रों को देखा जा सकता है। भगवान शिव की अमरनाथ गुफा की तरह इस गुफा में भी सदैव दो कबूतर रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी दर्शन करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।
शिव खोड़ी जाने के सबसे अच्छा समय
भक्त पुरे साल किसी भी समय शिव खोरी मंदिर में दर्शन के लिए जा सकता है। हालांकि महाशिवरात्रि के त्यौहार पर शिव खोरी मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। इसके अतिरिक्त आप फरवरी-अप्रैल और सितंबर-नवंबर के बीच दर्शन के लिए यहां आ सकते हैं। इस दौरान शिव खोरी का मौसम सुहावना रहता है।
शिव खोड़ी मंदिर की कथा
प्राचीन काल में, भस्मासुर नामक एक राक्षस को भगवान शिव ने वरदान दिया था। उस वरदान के कारण, भस्मासुर अजेय हो गया था। वह किसी के भी सिर पर हाथ रखकर उसे मार सकता था। भस्मासुर एक बहुत ही मूर्ख राक्षस था। उसे अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था और उसने भगवान शिव को मारने की ठान ली!
इसी इरादे से वह महादेव की तलाश में कैलाश पर्वत पर पहुँच गया। भगवान शिव के पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था। भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी के साथ कैलाश से निकल पड़े। वे दक्षिण दिशा की ओर बढ़े, भस्मासुर उनका पीछा कर रहा था। भगवान शिव एक जगह विश्राम करने के लिए रुके, जिसे अब शिव खोरी के नाम से जाना जाता है। वहाँ भस्मासुर को भगवान शिव मिले और भयंकर युद्ध हुआ। बचने के लिए भगवान शिव ने अपना त्रिशूल पर्वत पर फेंका। एक गुफा बन गई जिसमें केवल भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी ही प्रवेश कर सकते थे। वे गुफा में लुप्त हो गए, लेकिन भस्मासुर अंदर नहीं जा सका। उसने बाहर ही प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया। उसे पता नहीं था कि वह गुफा लगभग 300 किलोमीटर लंबी है।
भगवान शिव उस गुफा से बाहर निकले थे जिसे अब अमरनाथ के नाम से जाना जाता है। जब भस्मासुर प्रतीक्षा कर रहा था, तभी भगवान विष्णु एक सुंदर नर्तकी मोहिनी का रूप धारण करके वहाँ पहुँचे। अपनी नृत्य मुद्राओं से भगवान विष्णु ने भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए विवश कर लिया! इस प्रकार उस मूर्ख राक्षस का अंत हुआ, जो अपने ही हाथों मारा गया। तब भगवान विष्णु गुफा में प्रवेश कर गए और उनके साथ सनातन धर्म के 33 करोड़ देवी-देवता भी गुफा में प्रवेश कर गए।
इस घटना के बाद, इस गुफा के बारे में किसी को पता नहीं चला। केवल ऋषि-मुनि ही इस गुफा का उपयोग ध्यान के लिए करते थे। हज़ारों साल बाद एक चरवाहे ने इस गुफा की खोज की। उन्हें अंदर एक प्राकृतिक शिवलिंग और दीवारों पर विभिन्न चित्र मिले। यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और यह गुफा शिव खोरी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। जल्द ही यह सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक बन गई।
शिव खोड़ी की यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

- शिव खोरी जाते समय ट्रेक-अनुकूल कपड़े और जूते पहनें।
- ट्रेक के लिए अपनी सारी तैयारी कर लें, प्राथमिक उपचार, पानी और नाश्ता साथ ले जाएं।
- भीड़ से बचने के लिए आपको सुबह के समय आना पसंद करना चाहिए।
- इस ट्रेक को पूरा करने के लिए आपको कम से कम 2-3 घंटे की आवश्यकता होगी।