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व्रत कथाएँ

बुधाष्टमी व्रत सम्पूर्ण कथा

मिथिला नाम की एक नगरी में निमि नाम का एक राजा रहते थे । वह एक लड़ाई में मारे गये।   उनकी पत्नी जिनका नाम उर्मिला था अपने पति के बिना राज्य से निराश्रित हो इधर उधर भटकने लगी , तब अपने दो बच्चो को लेकर वह अवन्ति देश चली गई और वहाँ एक ब्राह्मण के घर में में गेहू पीसने का काम करती थी और  गेहु पिसते समय वह थोड़े से गेहु चुराकर रख लेती और उसे से अपने भूखे बच्चो का पालन करती थी ।  कुछ समय बाद उर्मिला...
व्रत कथायें (Vrat Katha)

रक्षा बंधन व्रत सम्पूर्ण कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में राजा बलि जब अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तो उस समय भगवान श्री विष्णु राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार का रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। उस समय राजा बलि ने बिना सोचे भगवान विष्णु को तीन पग देने का वचन दे दिया। देखते ही देखते भगवान विष्णु ने अपने छोटे से पांव से दो पैग में आकाश और पाताल को नाप लिया। तीसरे पग के लिए राजा बलि के पास कोई जगह...
व्रत कथाएँ

नाग पंचमी व्रत सम्पूर्ण कथा

प्राचीन काल में एक सेठजी थे जिनके सात पुत्र थे और सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन उस घर की बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी एक साथ डलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने के लिए निकल पड़ीं। जब बहुएं मिट्टी खोद रही थीं तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह...
व्रत कथाएँ

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत सम्पूर्ण कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि द्वापर युग में मथुरा में कंस (Kans) नाम का एक राजा हुआ करता था. कंस अपनी बहन देवकी से अत्यंत प्रेम करता था और उसके लिए कुछ भी कर सकता था. देवकी का विवाह बेहद धूमधाम से वासुदेव से कराया गया था. परंतु एक दिन आकाश में यह भविष्यवाणी हुई कि उसकी मृत्यु का कारण उसकी ही बहन की संतान होगी. भविष्यवाणी में कहा गया कि, हे कंस तू अपनी बहन को ससुरार छोड़ने जा रहा है परंतु उसकी गर्भ से पैदा...
व्रत कथाएँ

शरद पूर्णिमा व्रत सम्पूर्ण कथा

एक समय की बात है, किसी गाँव में एक साहूकार रहता था जिसकी दो बेटियाँ थीं। दोनों बहनें पूर्णिमा का व्रत करती थीं। हालाँकि, दोनों के विचार, व्रत के विषय में भिन्न-भिन्न थे। बड़ी बहन अत्यन्त ही पवित्र एवं धार्मिक थी तथा पूर्ण श्रद्धा सहित शरद पूर्णिमा व्रत करती थी। वह सन्ध्याकाल में भगवान चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पण करने के पश्चात् अपना व्रत सम्पन्न करती थी तथा कभी भी सम्पूर्ण व्रत किये बिना मध्य में अपना व्रत नहीं तोड़ती थी। दूसरी ओर, छोटी बहन कभी भी व्रत करने के लिये अत्यधिक उत्सुक...
व्रत कथाएँ

राधा अष्टमी व्रत सम्पूर्ण कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राधा माता श्रीकृष्ण के साथ गोलोक में निवास करती थी. एक बार भगवान श्रीकृष्ण को गोलोक में राधा नजर नहीं आईं, और कुछ समय बाद वे अपनी सखी विराजा के साथ घूमने चले गए. जब राधा को इस बात का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गईं और तुरंत कृष्ण के पास पहुंची. जिसके बाद क्रोध में ही उन्होंने विरजा को अपमानित कर दिया, जिसके बाद विरजा नदी के रूप में बहने लगी. देवी राधा का यह व्यवहार श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को अच्छा...
व्रत कथाएँ

दुर्गा अष्टमी व्रत सम्पूर्ण कथा

प्राचीन काल मे कत नामक एक महान ऋषि थे। उनके पुत्र कात्य हुए, वह भी एक प्रसिद्ध ऋषि बने, उन्हीं के नाम से “कात्य” गोत्र की स्थापना हुई थी। ऋषि कात्य के पुत्र “कात्यायन” हुए। वो माता आदिशक्ति पराम्बरा के परम भक्त थे। उन्होंने माता पराम्बरा की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किआ और वर स्वरुप उनके कुल मे अवतरित होने का वर माँगा। माता ने सहज़ भाव से ऋषि “कात्यायन” की इच्छा स्वकारी और उनके कुल मे जन्म लिआ और वो माता “कात्यायनी” कहलाई। आगे जाके पृथ्वी पर राक्षस...
व्रत कथाएँ

गोपाष्टमी व्रत सम्पूर्ण कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने माता यशोदा से कहा कि मां मैं अब बड़ा हो गया हूं इसलिए अब मैं बछड़ों के साथ गाय को भी चराने जाउंगा। तब मैया यशोदा ने कहा कि इसके लिए तुम अपने बाबा से बात करो। बाल गोपाल तुरंत नंद बाबा के पास गए और गाय चराने को कहा। लेकिन नंद बाबा ने मना कर दिया कि तुम अभी काफी छोटे हो, अभी केवल बछड़ों को ही चराओ। लेकिन बाल गोपाल अड़े रहे, तब नंद बाबा...
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