
गणेश चतुर्थी 2026
गणेश चतुर्थी भारत का सबसे बड़ा और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है. यानी यह उत्सव कुल 10 दिनों तक चलता है. कहते हैं कि इन 10 दिनों तक घर घर में गणपति बप्पा की स्थापना होती है और भक्त पूरे मन से पूजा अर्चना करते हैं. पहले दिन गणपति की स्थापना और आखिरी दिन विसर्जन की परंपरा इस त्योहार को विशेष बनाती है
गणेश चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। साथ ही किसी भी मांगलिक कार्य में गणेश जी को प्रथम देवता या प्रथम निमंत्रण देवता के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए गणेश चतुर्थी का दिन गणेश जी की स्तुति में विशेष माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों के काम अधूरे रह जाते हैं या काम-धंधे में तरक्की नहीं मिल पाती, उन्हें गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को घर पर जरूर लाना चाहिए। 10 दिनों तक गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
गणेश चतुर्थी 2026 मुहूर्त
गणेश चतुर्थी सोमवार, सितम्बर 14, 2026 को
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 11:02 ए एम से 01:31 पी एम
गणेश विसर्जन शुक्रवार, सितम्बर 25, 2026 को
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 09:01 ए एम से 08:08 पी एम
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 14, 2026 को 07:06 ए एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – सितम्बर 15, 2026 को 07:44 ए एम बजे
गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री
गणेश जी की मूर्ति, कुमकुम, दूर्वा, अक्षत, लाल वस्त्र, मौली, रोली, लौंग, इलायची, सुपारी, पान, पंचमेवा, सिन्दूर, जनेऊ जोड़ा, गाय का घी, शक्कर, फल, गंगा जल, फूल माला, गुलाब जल, इत्र, धूप बत्ती, सिक्का, नारियल, शहद, दही, गुलाल, अष्टगंध, हल्दी, गाय का दूध, मोदक, गुड़, कलश, धूप-दीपक समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर लें।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि

। गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर को अच्छे से साफ करें। एक चौकी पर लाल या पीले या वस्त्र बिछा लें। अब गणेश जी को चौकी पर स्थापित करें, लेकिन ध्यान रखें कि उनका मुख पूर्व की ओर हो। इसके बाद दूर्वा, गंगाजल, हल्दी, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, जनेऊ, फल, फूल, माला, अक्षत और मोदक भगवान गणेश को अर्पित करें। गणेश जी की आरती के साथ मां पार्वती, शिवजी और सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और फिर से भगवान की विधिवत आरती करें।
गणेश चतुर्थी की कथा
एक बार महादेव जी भोगावती नदी पर स्नान करने गए । उनके चले जाने के बाद पार्वती माता ने अपने तन के शुद्ध व चैतनयित मल से छोटे से बालक का एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाले। उसका नाम ‘गणेश’ रखा। पार्वती माता ने उस बालक से कहा कि ” तुम द्वार पर बैठ जाओ और जब तक मैं नहा रही हूं किसी को अंदर मत आने देना।”
नदी में स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी वहाँ पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया। शिवजी ने बहुत समझाया पर गणेश जी नहीं माने। भगवान शिव वास्तव में क्रोधित हो गए और त्रिशूल का उपयोग करके उसका सिर काट कर भीतर चले गए। बाद में जब माता पार्वती को पता चला कि क्या हुआ तो वह भी बहुत क्रोधित हुईं।
पार्वती माता बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने ब्रह्मांड को नष्ट करने की धमकी दी। उन्हें शांत करने के लिए, भगवान शिव ने अपने गणों को सबसे पहले जिस जीव को देखा, उसका सिर लाने के लिए भेजा। गणों ने उत्तर दिशा की ओर लेटे हुए एक हाथी को देखा। उन्होंने हाथी के सिर को लड़के के धड़ पर प्रत्यारोपित किया और उसे पुनर्जीवित कर दिया। तब शिव ने उनका नाम गणों का प्रमुख ‘गणेश’ रखा।
देवताओं ने गणेश जी को तमाम शक्तियां प्रदान की और प्रथम पूज्य बनाया। यह घटना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुई थी इसलिए इस तिथि को पुण्य पर्व ‘गणेश चतुर्थी’ के रूप में मनाया जाता है।
गणेशजी की मूर्ति स्थापना पर इन बातों का रखें ध्यान
- गणेश स्थापना से पहले बप्पा की मूर्ति को लाल या पीले रंग के साफ कपड़े से ढककर रखें।
- भगवान जी की स्थापना करने के बाद ही इन कपड़ों को हटाएं।
- मंदिर में कलश जरूर रखें।
- गणेशजी की मूर्ति स्थापना के बाद सात्विक भोजन का सेवन ना करें।
- गणेश उत्सव के 10 दिनों तक मांस-मदिरा का सेवन वर्जित माना गया है।
गणेश चतुर्थी के दिन क्या करें

- गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठकर अनुष्ठान करें।
- गणेश जी के भोग के लिए मोदक के प्रसाद का भोग लगाएं।
- गणपति की पूजा में दूर्वा घास को जरूर चढ़ाएं।
- आप कोशिश करें कि गरीबों को दान जरूर करें।
- अगर आप व्रत कर रहे हैं, तो सात्विक खाना खाएं।
- यदि आप गणेश चतुर्थीपर व्रत रख रहे हैं, तो फल, मेवे, साबूदाना और दूध का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
- हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब सारा पानी या जूस पिएं। आप चाहें तो छाछ या नारियल पानी भी पी सकते हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन क्या ना करें

- व्रत के दौरान किसी भी अशुद्ध चीजों का सेवन न करें। इससे आपका व्रत खंडित हो जाएगा।
- इस पावन दिनों में किसी के बारे में बुरा या गलत न बोलें।
- मंदिर या घर की स्वच्छता बनाए रखें। पूजा-पाठ के दौरान शुद्ध कपड़े पहनें।
- बड़े, बुजुर्ग, बच्चे, अनाथ और गरीबों का अपमान करने से बचे। इससे बप्पा नाराज सकते हैं और आपको शुभ की जगह अशुभ परिणाम भुगतना पड़ सकता है।