
हरितालिका तीज 2026
हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। साल में कुल 3 तीज पड़ती है, जिसे हरियाली, कजरी और हरतालिका तीज कहा जाता है। हरियाली तीज श्रावण मास में पड़ती है, तो कजरी और हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास को रखा जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती है। इसके साथ ही अविवाहित महिलाएं अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखने की विधान है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है।
हरितालिका तीज का महत्व

धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पिता के घर का त्याग कर जंगल में जाकर कठोर तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें। उनके इस तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। ‘हरतालिका’ शब्द ‘हरत’ (अपहरण) और ‘आलिका’ (सखी) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सखी द्वारा माता पार्वती का अपहरण ऐसा इसलिए किया गया था ताकि माता पार्वती का विवाह उनकी इच्छा के बिना न हो। यह व्रत त्याग और प्रेम का प्रतीक है।
हरितालिका तीज 2026 मुहूर्त
हरितालिका तीज सोमवार, सितम्बर 14, 2026 को
प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 06:05 ए एम से 07:06 ए एम
तृतीया तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 13, 2026 को 07:08 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त – सितम्बर 14, 2026 को 07:06 ए एम बजे
हरितालिका तीज पूजा विधि

- पूजा के लिए शिव-पार्वती की प्रतिमा मिट्टी से बनाएं या खरीदें।
- एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।
- रोली, गंगाजल, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, फूल, फल, मिठाई और अक्षत आदि चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में आरती करें और फिर सभी में प्रसाद बांटें।
- बड़ों का आशीर्वाद लें।
- हरतालिका तीज की रात को जागरण करने का भी महत्व है।
- रात में भजन-कीर्तन करें और भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करें।
- अगले दिन व्रत का पारण करें।
हरतालिका तीज की कथा
हरतालिका तीज की कथा स्वयं भगवान शिव ने देवी पार्वती को उनके शैलपुत्री अवतार का स्मरण कराते हुये सुनायी थी। देवी पार्वती स्वयं महाराज हिमालयराज के घर देवी शैलपुत्री के रूप में अवतरित हुयीं थीं।
देवी शैलपुत्री ने बाल्यकाल से ही भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु तपस्या आरम्भ कर दी थी। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये बारह वर्षों तक प्रार्थना की, तत्पश्चात् 64 वर्षों तक कठिन तपस्या में लीन रहीं।
महाराज हिमालयराज को अपनी पुत्री के भविष्य की चिन्ता होने लगी। एक समय नारद मुनि शैलपुत्री के दर्शन करने आये तथा उन्होंने हिमालयराज से झूठ बोलते हुये कहा कि वे भगवान विष्णु की ओर से उनकी पुत्री के लिये विवाह का प्रस्ताव लेकर आये हैं। हिमालयराज ने भगवान नारद को यह वचन दिया कि वे उनकी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु से ही करेंगे। भगवान विष्णु ने भी नारद मुनि के अनुरोध पर देवी शैलपुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
ज्यों ही शैलपुत्री को अपने पिता द्वारा भगवान विष्णु से उनका विवाह करने के वचन के विषय में ज्ञात हुआ, तो वे अपनी सखी के साथ घर त्यागकर चली गयीं। वे घने वन में चली गयीं तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु नदी के तट पर एक गुफा में निवास कर तपस्या करने लगीं। अन्ततः भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हो गये तथा उन्होंने देवी शैलपुत्री को उनसे विवाह करने का वचन दिया। अगले दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को शैलपुत्री एवं उनकी सखी ने भगवान शिव के लिये व्रत का पालन किया।
महाराज हिमालयराज अपनी पुत्री के लिये अत्यन्त चिन्तित थे क्योंकि उन्हें लगा कि किसी ने उनकी पुत्री का अपहरण कर लिया है। हिमालयराज अपनी सेना सहित प्रत्येक स्थान पर शैलपुत्री की खोज करने लगे। अन्त में उन्हें अपनी पुत्री एवं उसकी सखी घने वन में मिलीं। उन्होंने अपनी पुत्री से घर लौटने का अनुरोध किया। शैलपुत्री ने कहा कि उनके पिता द्वारा उनका विवाह भगवान शिव से कराने का वचन देने पर ही वे घर लौटेंगी। हिमालयराज ने उनकी इच्छा स्वीकार कर ली तथा कालान्तर में उनका विवाह भगवान शिव से कर दिया।
इस पौराणिक कथा के कारण, इस दिन को हरतालिका के रूप में जाना जाता है क्योंकि देवी पार्वती की सखी उन्हें घने वन में ले गयी थी, जिसे हिमालयराज ने अपनी पुत्री का अपहरण समझ लिया था। हरतालिका शब्द “हरत” एवं “आलिका” का संयोजन है जिसका अर्थ क्रमशः “अपहरण” एवं “महिला मित्र” है।
हरतालिका तीज के दिन क्या करें

- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर अच्छे से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। साफ-सुथरा रहना इस दिन की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
- अपने घर में एक पवित्र स्थान पर पूजा की जगह तैयार करें। वहां साफ-सफाई करें और कुछ फूल, दीपक, और नैवेद्य रखें।
- हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इसलिए पूजा विधि-विधान के साथ करें।
- हरतालिका तीज के दिन शिवलिंग का अभिषेक अवश्य करें और बेलपत्र चढ़ाएं।
- हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत अवश्य रखें।
- हरतालिका तीज के दिन पूजा के दौरान कथा जरूर पढ़नी चाहिए।
- इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इसलिए दान जरूर करें।
- हरतालिका तीज का दिन बेहद उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करना चाहिए।
हरतालिका तीज के दिन क्या ना करें

- हरतालिका तीज के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए।
- हरतालिका तीज के दिन झूठ न बोलें।
- इस दिन गुस्सा करने से बचना चाहिए।
- हरतालिका तीज के दिन भूलकर भी नहीं सोना चाहिए।
- हरतालिका तीज के दिन किसी भी जातक को अपशब्द बोलने से बचना चाहिए।
- इस दिन अपना मन शांत रखें और नकारात्मक विचारों का दूर रहें।
- हरतालिका तीज के दिन नाखुन और बाल कटवाने से बचना चाहिए।
- हरतालिका तीज के दिन लोहे और काले रंग के वस्त्र भूलकर भी न खरीदें।