
फुलेरा दूज 2026
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. इस शुभ दिन को श्रीकृष्ण और राधा जी के प्रेम का प्रतीक मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह दिन विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए विशेष तरह से शुभ होता है. इस दिन ब्रज में रंगों और फूलों की होली खेली जाती है. जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय और आनंदपूर्ण हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फुलेरा दूज के दिन विवाह और अन्य मांगलिक कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है. जो भी प्रेमी युगल सच्चे मन से श्रीकृष्ण और राधा जी की आराधना करते हैं. उसे जीवनभर एक-दूसरे का अटूट साथ मिलता है. ये पर्व फुलेरा दूज के नाम से भी जाना जाता है.
फुलेरा दूज का महत्व

मुहूर्त शास्त्र की मानें तो फुलेरा दूज वर्ष भर में आने वाले पांच स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में से एक है. इस दिन किसी भी शुभ कार्य को पंचांग शुद्धि के बिना ही पूरा कर सकते हैं .ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि फुलेरा दूज विशेष रूप से विवाह संस्कार के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है.शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अगर वर-वधू के नाम से कोई विशेष मुहूर्त न भी निकला हो, तब भी विवाह किया जा सकता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फुलेरा दूज का दिन सभी प्रकार के दोषों से मुक्त होता है.इस दिन किए गए सभी मांगलिक कार्य श्रेष्ठ और शुभ फल देने वाले होते हैं.
फुलेरा दूज 2026 मुहूर्त
फुलेरा दूज बृहस्पतिवार, फरवरी 19, 2026 को
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – फरवरी 18, 2026 को 04:57 पी एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त – फरवरी 19, 2026 को 03:58 पी एम बजे
फुलेरा दूज पूजा विधि

- भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
- घर को साफ करें।
- एक वेदी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।
- अगर आपके पास राधा कृष्ण की मूर्ति नहीं है, तो आप उनकी तस्वीर और लड्डू गोपाल जी की मूर्ति भी रख सकते हैं।
- गंगाजल, गुलाब जल, फूल या पंचामृत से स्नान कराएं।
- सुंदर वस्त्र पहनाएं और झूले पर बिठाएं।
- तरह-तरह के फूल व गुलाल अर्पित करें।
- देसी घी का दीया जलाएं।
- कृष्ण जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- घर पर बनी मिठाई, पंजीरी, पंचामृत, खोया की बर्फी, चावल की खीर और मखाने की खीर आदि का भोग लगाएं। पूजा में तुलसी पत्र जरूर शामिल करें।
- राधा-कृष्ण की भव्य आरती करें।
- अंत में परिवार के प्रत्येक सदस्यों और अन्य लोगों में प्रसाद बांटें।
फुलेरा दूज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार- एक बार कुछ ऐसा हुआ कि भगवान श्री कृष्ण बहुत दिनों तक राधा से मिलने वृन्दावन नहीं जा पाए थे। ऐसे में राधा रानी अत्यंत दुखी हो गईं। राधा का ये अथाह दुख देखकर सिर्फ़ ग्वाल व गोपियां ही नहीं, बल्कि मथुरा के सभी पेड़-पौधे व फूल मुरझाने लगे।
ये बात जब श्री कृष्ण को पता चली तो वो शीघ्र ही राधा रानी से मिलने के लिए वृंदावन आ पहुंचे। कान्हा के आगमन का समाचार सुनकर वियोग में जलविहीन मछली की तरह छटपटाती राधा का मुखमंडल खिल उठा। गोपियां भी बहुत प्रसन्न हुईं। सूखते हुए पेड़ पौधे व फूलों में एक बार फिर से जान आ गई और वो फिर से पहले की भांति हरे-भरे हो गए। उस समय कन्हैया ने इन फूलों को तोड़कर राधा पर फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद राधा भी प्रसन्न होकर उनपर फूल फेकने लगीं। ये देखकर गोपियां और ग्वाल सब एक-दूसरे पर फूल बरसाने लगे।
कहा जाता है कि तभी से ‘फुलेरा दूज’ का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाने लगा, और हर वर्ष मथुरा में इस दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा शुरू हुई।
फुलेरा दूज के दिन क्या करें

- फुलेरा दूज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
- इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें.
- भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्ति या चित्र का गंगाजल, दूध, शहद, दही और जल से अभिषेक करें.
- उन्हें नए वस्त्र पहनाकर पुष्पों से सजाएं.
- धूप, नैवेद्य, दीप, फल, अक्षत और ताजे फूल अर्पित करें.
- भोग में माखन-मिश्री, फल, खीर और मिठाई रखें.
- घी का दीप जलाकर आरती करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें. इसके बाद परिवार और मित्रों के साथ फूलों की होली खेलें, जो प्रेम और आनंद का प्रतीक मानी जाती है.
फुलेरा दूज के दिन क्या ना करें

- फुलेरा दूज के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें.
- किसी से गलत भाषा में बात न करें और अभद्र टिप्पणी न करें.
- लड़ाई-झगड़ों से दूर रहें और बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करें.
- इस दिन नशीले चीजों जैसे शराब और मांस का सेवन न करें.
- नाखून काटने से भी बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है.
- फुलेरा दूज पर किसी भी तरह के गलत काम करने से परहेज करें.