केदार गौरी व्रत 2025
त्यौहार (Festival)

केदार गौरी व्रत 2025

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केदार गौरी व्रत को ‘केदारेश्वर व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिवाली के दौरान ‘अमावस्या’ को मनाया जाने वाला एक शुभ हिंदू त्योहार है। भारत के उत्तरी राज्यों में, केदार गौरी व्रत ‘कार्तिक’ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। कई स्थानों पर, यह ‘आश्विन’ अमावस्या को मनाया जाता है। केदार व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने केदार व्रत रखा था। भक्तों ने ‘कार्तिक’ या ‘आश्विन’ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अपना व्रत शुरू किया और दिवाली के दौरान अमावस्या को समाप्त किया। लेकिन आजकल, केदार गौरी व्रत अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह पूरे भारत में, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है।

केदार गौरी व्रत का महत्व

केदार गौरी व्रत की महिमा का वर्णन हिंदू धर्मग्रंथ ‘स्कंद पुराण’ में मिलता है। कई देवी-देवताओं ने भी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए केदार व्रत किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने यह व्रत किया था। वे भगवान शिव में विलीन हो गईं। बाद में, उन्हें ‘अर्ध नारीश्वर’ के नाम से जाना गया। भगवान विष्णु ने वैकुंठ के स्वामी बनने के लिए यह व्रत किया था और भगवान ब्रह्मा ने इस व्रत के पालन के बाद हंस वाहन प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त केदार गौरी व्रत का 21 बार पालन करता है, उसकी सभी सांसारिक इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं और वह भगवान शिव में विलीन होकर ‘मोक्ष’ प्राप्त करता है।

केदार गौरी व्रत 2025 मुहूर्त

केदार गौरी व्रत सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 को

केदार गौरी व्रत मंगलवार, सितम्बर 30, 2025 से प्रारम्भ

केदार गौरी व्रत के कुल दिन – 21

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

केदार गौरी व्रत पूजा विधि

  • केदार गौरी व्रत के दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा की जाती है.
  • इस दिन भक्त अपनी क्षमता अनुसार पूरा दिन व्रत करते हैं या एक समय फलहार करके भी इस व्रत को किया जा सकता है.
  • केदार गौरी व्रत को हमेशा शुद्ध मन से किया जाना चाहिए. जो भी मनुष्य इस व्रत को करता है उसे एक पुजारी को बुलाकर भोजन कराना चाहिए.
  • केदार गौरी व्रत की पूजा लगातार 21 दिनों तक चलती है. सभी भक्तगण पवित्र स्थान पर कलश स्थापित करके नियमित रूप से उसकी पूजा करते हैं.
  • कलश को एक रेशमी कपड़े से ढका जाता है. जिसके ऊपर चावल का एक ढेर रखा जाता है.
  • कलश के चारों ओर 21 धागे बांधे जाते हैं. केदार गौरी व्रत में 21 पुजारियों को आमंत्रित किया जाता है.
  • इस पूजा में स्थापित कलश को भगवान केदारेश्वर का प्रतिबिंब माना जाता है.
  • कुमकुम, चंदन, अक्षत, कस्तूरी, लोबान, तांबूल, फूल और धूप अर्पित करके कलश की पूजा की जाती है.
  • इसके पश्चात भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है. केदार गौरी व्रत में भोलेनाथ को श्रीफल के साथ-साथ 21 प्रकार के भोजन का विशेष भोग चढ़ाया जाता है.
  • पूजा संपन्न होने के बाद भक्तगण और गरीबों के बीच प्रसाद बांटा जाता है.

केदार गौरी व्रत कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत देवी पार्वती ने किया था. एक बार माता पार्वती के एक भक्त ने उनकी भक्ति छोड़कर भगवान शिव की पूजा करना आरंभ कर दिया. जिससे माता पार्वती को बहुत क्रोध आया. माता पार्वती ने शिव के शरीर का हिस्सा बनने के लिए ऋषि गौतम की तपस्या की. तब ऋषि गौतम ने माता पार्वती को पूरी श्रद्धा के साथ लगातार 21 दिनों तक केदार गौरी व्रत का पालन करने के लिए कहा.

माता पार्वती ने गौतम ऋषि की बात मानकर पूरे नियमानुसार 21 दिनों तक केदारगौरी व्रत का पालन किया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपने शरीर का बायां हिस्सा माता पार्वती को दे दिया. तभी से उनके इस रूप को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाने लगा. तब से इस दिन केदारगौरी व्रत मनाया जाता है. माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं ही यह उपवास रखा था.

केदार गौरी व्रत के लाभ

केदार गौरी व्रत भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

व्रत के दौरान की गई पूजा और उपवास से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत परिवार में सौभाग्य और खुशहाली लाता है।

केदार गौरी व्रत करने से संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।

भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन का वरदान मिलता है। – इसके अलावा ये व्रत करने से इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

केदार गौरी व्रत करके 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान देने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।

केदार गौरी व्रत के दिन क्या करें

  • सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान शिव व माता गौरी के प्रति अपनी भक्ति का संकल्प लें. 
  • जल से भरे कलश की स्थापना करें और उसके चारों ओर 21 गांठों वाला धागा बांधें. 
  • कलश में चंदन, चावल, फूल, फल और 21 प्रकार के नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें. 
  •  भगवान शिव और माता पार्वती के विशेष मंत्रों का जाप करें, जैसे ‘ओम नमः शिवाय’. 
  • पूजा के अंत में 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दें. 
  • पूर्ण उपवास न कर सकें, तो फल, दूध और दही जैसे उत्पादों का सेवन कर सकते हैं. 

केदार गौरी व्रत के दिन क्या ना करें

  • व्रत के दौरान भूलकर भी नमक का सेवन न करें. 
  • प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक (मांसाहारी) भोजन से पूरी तरह दूर रहें. 
  • व्रत का पालन करते समय सात्विक आहार ग्रहण करें. 
  •  पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और पूजा सामग्री भी पवित्र होनी चाहिए. 
  • पूजा को अधूरी न छोड़ें, संकल्प के अनुसार पूजा और दान करना महत्वपूर्ण है. 


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