होलिका दहन 2026
त्यौहार (Festival)

होलिका दहन 2026

51views

देशभर में होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रंगों की होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियों और उपले से होलिका तैयार करते हैं और शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भक्त प्रह्लाद को जलाने वाली होलिका स्वयं अग्नि में जल गई थी, जिसके कारण यह पर्व मनाया जाता है।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए होलिका की पूजा करती हैं। कहते हैं होलिका दहन करने से घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती है। इस दिन लोग लकड़ियां, गोबर के उपले को इकट्ठा करके उसमें आग लगाते हैं और फिर अग्नि में गोबर के उपले, चने की बालों, जौ, गेहूं इत्यादि चीजें डाली जाती हैं।

होलिका दहन 2026 मुहूर्त

होलिका दहन मंगलवार, मार्च 3, 2026 को
होलिका दहन मुहूर्त – 06:22 पी एम से 08:50 पी एम
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 02, 2026 को 05:55 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 03, 2026 को 05:07 पी एम बजे

होलिका दहन सामग्री

गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं, माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां, एक कलश जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल

होलिका दहन पूजा-विधि

सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।

अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें।

गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।

थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।

नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।

अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।

अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।

इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।

भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।

अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।

कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।

आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।

होलिका दहन की कथा

होली की अनेक कथायें प्रचलित हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय कथा प्रह्लाद के विषय में है, जो भगवान विष्णु के प्रबल भक्त थे।

जब हिरण्यकशिपु अमरता प्राप्त करने के हेतु भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने में व्यस्त था, उसी समय राक्षस हिरण्यकशिपु एवं उसकी पत्नी कयाधु के पुत्र प्रह्लाद का जन्म एवं पालन-पोषण देवर्षि नारद के मार्गदर्शन में हुआ था।

प्रह्लाद का पिता हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का शत्रु था। वह अपने पुत्र द्वारा भगवान विष्णु की भक्ति करने के घोर विरोधी था। जब प्रह्लाद ने हिरण्यकशिपु की आज्ञा मानने को अस्वीकार कर दिया, तो हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन राक्षसी होलिका को प्रह्लाद की हत्या करने का आदेश दिया। होलिका के पास अग्नि से सुरक्षित रहने हेतु भगवान ब्रह्मा द्वारा उपहार में दी गयी दिव्य ओढ़नी थी। होलिका ने प्रह्लाद को विशाल अग्नि में जलाकर मारने की योजना बनायी। होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ गयी, किन्तु भगवान विष्णु की असीम कृपा से, होलिका के स्थान पर दिव्य ओढ़नी ने प्रह्लाद को अग्नि से सुरक्षित बचा लिया।

लोककथाओं के अनुसार, अग्नि दहन होने पश्चात प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का नाम जपना आरम्भ कर दिया था। जब भगवान विष्णु ने अपने प्रिय भक्त को सङ्कट में देखा, तो उन्होंने होलिका के ऊपर से ओढ़नी को अपने भक्त प्रह्लाद पर उड़ाने के लिये वायु के एक झोंके को आदेश दिया। इसीलिये राक्षसी होलिका विशाल अग्नि में भस्मीभूत हो गयी तथा भगवान विष्णु की कृपा तथा मायावी ओढ़नी के कारण प्रह्लाद को कोई क्षति नहीं हुयी।

तत्पश्चात्, जब हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के अपने प्रयासों विराम नहीं लगाया, तो भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा करने तथा राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने हेतु भगवान नृसिंह के रूप में पृथ्वी पर अवतार धारण किया।

होलिका की अग्नि में भूलकर भी न डालें ये चीजें

  • होलिका की आग में पानी वाला नारियल नहीं डाला जाता है। होलिका दहन में सूखा नारियल चढ़ाया जाता है। पानी वाला नारियल चढ़ाने से आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब हो सकती है। चंद्रमा ठीक नहीं होने से व्यक्ति को अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • होलिका की पूजा में लोग घर पर बनाए हुए पकवान भी अर्पित करते हैं। तो अगर आप गुजिया होलिका की आग में चढ़ा रहे हैं तो ध्यान रहें कि इसकी संख्या तीन न हो। 
  • होलिका की अग्नि में सूखी हुई गेहूं की बालियां और सूखे फूल भी नहीं डालना चाहिए। वरना शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है।

होलिका की अग्नि में क्या डालना चाहिए?

  • होलिका दहन की आग में सूखा नारियल डालना चाहिए। 
  • इसके अलावा अक्षत और ताजे फूल होलिका की अग्नि में चढ़ाएं। 
  • होलिका को साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, और गाय के सूखे गोबर से बनी माला अर्पित करें।
  • होलिका की अग्नि में चांदी या तांबे के कलश से जल और गुलाल भी जरूर चढ़ाएं।

 



Leave a Response