
हर साल मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है। सिखों के लिए यह बेहद खास पर्व है। लोहड़ी खासतौर से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाया जाता है। यह पर्व फसलों के तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अग्निदेव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ठंड से ही प्रकोप कम और रातें छोटी होने लगती है। लोहड़ी के दिन संध्याकाल में अलाव जलाया जाता है और अग्निदेव को रेवड़ी, खील, मूंगफली और गेहूं की बालियां अर्पित की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी के दिन अग्निदेव की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और धन-वैभव का आगमन होता है।
लोहड़ी का महत्व

स दिन लोग आग जलाकर उसके चारों ओर नाचते-गाते हैं. गिद्दा करते हैं. गिद्दा पंजाब का एक बहुत ही लोकप्रिय नृत्य है. इस बीच लोग आग में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक डालते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हैं. इस दौरान तिल के लड्डू भी बांटे जाते हैं. ये त्योहार पंजाब में फसल काटने के दौरान मनाया जाता है. लोहड़ी में इसी खुशी का जश्न मनाया जाता है. इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट किया जाता है. आज के दिन किसान फसल की उन्नति की कामना करते हैं.
लोहड़ी 2026 मुहूर्त
लोहड़ी मंगलवार, जनवरी 13, 2026 को
लोहड़ी संक्रान्ति का क्षण – 03:13 पी एम, जनवरी 14
लोहड़ी पूजा विधि

लोहड़ी के दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान किया जाता है. इसके बाद मंदिर की सफाई करके भगवान कृष्ण, अग्नि देव और मां दुर्गा की पूजा की जाती है. सुबह के समय सूर्य देव का ध्यान लगाना और सूर्य देव की पूजा करना भी बेहद शुभ होता है. लोहड़ी की शाम आग जलाई जाती है. इसके लिए सूखी लकड़ियों को एकसाथ मिलाकर जलाते हैं. इसमें कंडे वगैरह का भी इस्तेमाल होता है. अब इसमें रेवड़ी, फुल्ले, खील, लड्डू और मक्के के साथ ही मूंगफली डाली जाती है. इसके बाद लोहड़ी की अग्नि की परिक्रमा करके पूजा संपन्न होती है. परिवार और दोस्तों के साथ लोहड़ी मनाकर इस पर्व का पूरा आनंद लिया जाता है.
लोहड़ी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में एक बार सभी लोग मकर संक्रांति की तैयारियों में लगे हुए थे. इस दौरान कंस से अपने एक राक्षस को भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेज दिया. आए दिन कोई न कोई राक्षस भगवान कृष्ण को मारने के लिए आता ही था. ऐसी ही मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले कंस ने लोहिता नाम के राक्षस को भगवान कृष्ण का वध करने के लिए भेज दिया. लेकिन, भगवान कृष्ण ने खेल-खेल में उस राक्षस को मार दिया. ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोहिता का वध होने के कारण इसे लोहड़ी के नाम से पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.
लोहड़ी पर अग्नि में अर्पित की जाने वाली चीजों
तिल- लोहड़ी के दिन अग्नि में तिल को अर्पित किया जाता है। यह शुद्धता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।
गुड़- लोहड़ी के दिन अग्नि में गुड़ अर्पित करने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि अग्नि में गुड़ अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
मूंगफली और मकई के दाने- लोहड़ी की शाम अग्नि में मूंगफली और मकई के दाने अर्पित किए जाते हैं और अच्छी फसल की कामना की जाती है। यह नई फसल का प्रतीक माने जाते हैं।
गजक और रेवड़ी- लोहड़ी के पर्व पर अग्निदेव को गजरी और रेवड़ी अर्पित करना शुभ होता है। यह सामाजिक एकता और मेलजोल का प्रतीक माना जाता है। इसे बांटने से रिश्तों में आपसी प्रेम और लगाव बढ़ता है।
लोहड़ी के दिन क्या करें

- सुबह भगवान कृष्ण, अग्नि देव और मां दुर्गा की पूजा करें, तथा सूर्य देव का भी ध्यान लगाएं.
- शाम को सूखी लकड़ियों को जलाकर बनी लोहड़ी की अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, खील और मक्के के दानों की आहुति दें.
- अग्नि की परिक्रमा करते हुए नृत्य और लोकगीत गाएं.
- अग्नि से मिले प्रसाद (जैसे रेवड़ी) को परिवार और दोस्तों के साथ बांटें.
- घर की साफ-सफाई करें और नए वस्त्र पहनें.
- जरूरतमंदों को कंबल या गर्म वस्त्र दान करें, जिससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
- परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस त्योहार का आनंद लें और पारंपरिक पकवान जैसे गजक, मक्का, तिल और गुड़ के लड्डू आदि का आनंद लें.
लोहड़ी के दिन क्या ना करें

- लोहड़ी की पवित्र अग्नि में किसी भी तरह का प्लास्टिक, कूड़ा या गंदी चीजें न डालें.
- अग्नि की परिक्रमा करते समय जूते-चप्पल पहनना अशुभ माना जाता है; नंगे पैर ही परिक्रमा करें.
- अग्नि में केवल शुद्ध और ताज़ा प्रसाद ही अर्पित करें.
- किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें, विशेषकर बड़े-बुजुर्गों या महिलाओं का.
- लोहड़ी के दिन किसी को भी किसी प्रकार का दुख या क्लेश न पहुंचाएं.
- इस दिन तामसिक भोजन करने से बचें.