स्तोत्र (stotra)

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र – माता गायत्री की महिमा का दिव्य वर्णन (Shri Gayatri Sahasranama Stotra Lyrics with Meaning) – ज्ञान की बातें

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श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र माँ गायत्री को समर्पित स्तोत्र है माँ गायत्री सम्पूर्ण ज्ञान की देवी है उनका दिव्य प्रकाश भक्तों पर पूर्ण ज्ञान की वर्षा करता है। श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र देवी भागवत पुराण और अन्य शास्त्रों में वर्णित है, जिसमें मां गायत्री के एक हजार दिव्य नामों का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र न केवल भक्ति बढ़ाता है बल्कि पापों का नाश करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को गायत्री माता के दिव्य प्रकाश और शुध्द ज्ञान की प्राप्ति होती है वही शुक्रवार को गायत्री माता का दिन माना गया है शुक्रवार के दिन गायत्री देवी के स्तोत्र सुनने और पाठ करने से माँ गायत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र का इतिहास और महत्व

माँ गायत्री को वेद माता माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सभी वेदों की उत्पत्ति गायत्री मंत्र से हुई थी जब परमेश्वर ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की, तो सबसे पहले गायत्री मंत्र प्रकट हुआ, जो की भगवान विष्णु के मुख से प्रकट हुआ। बाद में सभी वेदों की उत्पत्ति इसी मंत्र से हुई, इसलिए देवी गायत्री को सभी वेदों की माता कहा जाता है गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र देवी गायत्री के हजार अलग-अलग नामों से बना है। ये नाम गायत्री देवी के विभिन्न पहलुओं या उनके अद्वितीय गुणों का वर्ण करते हैं। जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इन नामों का जाप करता है या सुनता है, उसे धीरे-धीरे इनका अर्थ समझ में आता है। एक बार जब जाप करने वाले को इन नामों का अर्थ समझ आ जाता है, तो उसकी चेतना का उत्थान होने लगता है और उसकी आध्यात्मिकता बढ़ने लगती है। 

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र के संस्कृत श्लोक एवं हिन्दी अर्थ

जयस्व देवि गायत्रि महामाये महाप्रभे ।
महादेवि महाभागे महासत्त्वे महोत्सवे ॥ १॥

दिव्यगन्धानुलिप्ताङ्गि दिव्यस्रग्दामभूषिते ।
वेदमातर्नमस्तुभ्यं त्र्यक्षरस्थे महेश्वरि ॥ २॥

त्रिलोकस्थे त्रितत्त्वस्थे त्रिवह्निस्थे त्रिशूलिनि ।
त्रिनेत्रे भीमवक्‍त्रे च भीमनेत्रे भयानके ॥ ३॥

कमलासनजे देवि सरस्वति नमोऽस्तु ते ।
नमः पङ्कजपत्राक्षि महामायेऽमृतस्रवे ॥ ४॥

सर्वगे सर्वभूतेशि स्वाहाकारे स्वधेऽम्बिके ।
सम्पूर्णे पूर्णचन्द्राभे भास्वराङ्गे भवोद्भवे ॥ ५॥

महाविद्ये महावेद्ये महादैत्यविनाशिनि ।
महाबुद्ध्युद्भवे देवि वीतशोके किरातिनि ॥ ६॥

त्वं नीतिस्त्वं महाभागे त्वं गीस्त्वं गौस्त्वमक्षरम् ।
त्वं धीस्त्वं श्रीस्त्वमोङ्कारस्तत्त्वे चापि परिस्थिता ।
सर्वसत्त्वहिते देवि नमस्ते परमेश्वरि ॥ ७॥

इत्येवं संस्तुता देवी भवेन परमेष्ठिना ।
देवैरपि जयेत्युच्चैरित्युक्ता परमेश्वरी ॥ ८॥

॥ इति श्रीवराहमहापुराणे महेश्वरकृता गायत्रीस्तुतिः सम्पूर्णा ॥

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र हिंदी अनुवाद और अर्थ

भगवान् महेश्वर बोले -महामाये! महाप्रभे! गायत्रीदेवि! आपकी जय हो! महाभागे! आपके सौभाग्य, बल, आनन्द-सभी असीम है। दिव्य गन्ध एवं अनुलेपन आपके श्रीअंगोकी शोभा बढाते है। परमानन्दमयी देवि! दिव्य मालाएँ एवं गन्ध आपके श्रीविग्रहकी छवि बढाती है। महेश्वरि! आप वेदों की माता है। आप ही वर्णोंकी मातृका है । आप तीनों लोकों मे व्याप्त है। तीनों अग्नियों मे जो शक्ति है, वह आपका ही तेज है। त्रिशूल धारण करनेवाली देवि! आपको मेरा नमस्कार है। देवि! आप त्रिनेत्रा, भीमवक्‍त्रा, भीमनेत्रा और भयानका आदि अर्थानुरूप नामों से व्यवहृत होती है। आप ही गायत्री और सरस्वती है। आपके लिये हमारा नमस्कार है। अम्बिके ! आपकी आँखें कमल के समान है। आप महामाया है। आपसे अमृतकी वृष्टि होती रहती है ॥ १ -४॥

सर्वगे! आप सम्पूर्ण प्राणियों की अधिष्ठात्री है। स्वाहा और स्वधा आपकी ही प्रतिकृतियाँ है, अतः आपको मेरा नमस्कार है। महान् दैत्यों का दलन करनेवाली देवि! आप सभी प्रकारसे परिपूर्ण है। आपके मुख की आभा पूर्णचन्द्र के समान है। आपके शरीर से महान् तेज छिटक रहा है। आपसे ही यह सारा विश्व प्रकट होता हे। आप महाविद्या और महावेद्या है। आनन्दमयी देवि ! विशिष्ट बुद्धिका आपसे ही उदय होता हे। आप समयानुसार लघु एवं बृहत् शरीर भी धारण कर लेती है। महामाये! आप नीति, सरस्वती, पृथ्वी एवं अक्षरस्वरूपा है। देवि! आप श्री, धी तथा ओंकारस्वरूपा है। परमेश्वरि! तत्त्वमें विराजमान होकर आप अखिल प्राणियों का हित करती है। आपको मेरा बार-बार नमस्कार है ॥ ५ -७॥

इस प्रकार परम शक्तिशाली भगवान् शङ्करने उन देवीकी स्तुति की और देवतालोग भी बडे उच्चस्वर से उन परमेश्वरी की जयध्वनि करने लगे ॥ ८॥

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र के लाभ और जाप विधि

गायत्री स्तोत्र का जाप करने से मन शांत रहता है और गुस्सा कम आता है साथ ही, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है। पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए ये स्तोत्र बहुत फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। इस स्तोत्र का जप करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। इसके अलावा कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है जिससे करियर में ग्रोथ और समाज में सम्मान बढ़ता है। इस मंत्र के नियमित जाप से कई बीमारियों से भी राहत मिलती है।

जाप विधि:

श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करे और पीले वस्त्र पहने फिर दक्षिण दिशा की ओर आसन पर बैठें। माँ गायत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करे फिर मूर्ति पर दीपक, धूप और फूल अर्पित करें। श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र का जप करे उच्चारण शुद्ध रखें; अर्थ जानकर पाठ करें। अंत में माँ गायत्री की आरती के साथ समापन करें। इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी मांस, मछली या मदिरा का सेवन करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप ना करे ऐसा करने से जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

अगर आप भक्ति में रुचि रखते हैं, तो हमारी साइट ज्ञान की बातें पर अन्य स्तोत्र जैसे शिव तांडव स्तोत्र को जरूर पढ़ें तथा इस आर्टिकल को शेयर करें और कमेंट में अपनी अनुभूति बताएं!

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