व्रत कथाएँ

कामिका एकादशी व्रत सम्पूर्ण कथा

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एक नगर में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन की बात है किसी अगम्य कारणवश उसकी हाथापाई एक ब्राह्मिण कुमार के साथ हो गई और परिणाम स्वरूप ब्राह्मिण कुमार की मृत्यु हो गई। अपने हाथों मृत्यु को प्राप्त हुए ब्राह्मिण कुमार की अंतिम क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही किंतु वँहा उपस्थित विद्वान पंडितो में उस क्षत्रिय को ऐसा करने से रोक दिया और कहाँ तुम पर ब्राह्मण हत्या का पाप है इस लिए तुम इस ब्राह्मिण कुमार की अंतिम क्रिया में शामिल नहीं हो सकते अतः तुम्हे सबसे पहले अपने ब्रह्म हत्या के पाप का निवारण करना होगा तभी जा कर हम तुम्हारे घर आकर भोजन कर पाएंगे।

ब्रह्मीणो की इस प्रतिक्रिया पर क्षत्रिय ने पूछा –

क्षत्रिय – “हे ब्राह्मिण देवता आपकी बात सर्वथा उचित है। मुजसे जो आवेश में आकर पाप हुआ है वह निश्चित ही क्षमा योग्य नहीं है किंतु में प्राश्चित की अग्नि में जल रहा हूं। मेरा आपसे निवेदन है कि आप मुजे इस अकारण हुए पाप से मुक्ति दिलाने का कोई उपाय बताये।

ब्रह्मीणो – “हे क्षत्रिय कुमार, हम तुम्हारे दीन वचन से प्रभावित हुए है। अतः हम तुम्हे इस ब्रह्म हत्या जैसे महा पाप से मुक्ति दिलाने का उपाय बता रहे है अतः तुम इसे ध्यानपूर्वक सुनना। श्रावण माह के कृष्णपक्ष को आनेवाली एकादशी के दिन भगवान श्री हरि का व्रत रख कर उनका पूजन करके ब्रह्मीणो को सात्विक भोजन करवा कर उन्हें उचित दक्षिणा से संतुष्ट कर उनका आशीष प्राप्त करने से ब्रह्म हत्या जैसे इस महापाप से तुम्हें मुक्ति मिल सकती है।”

ब्रह्मीणो के बताये गये मार्ग से अति प्रसन्न हो कर क्षत्रिय कुमार ने बड़े ही श्रद्धाभाव से भगवान श्री हरि का व्रत किया और ब्रह्मीणो को भोजन करवा कर उचित दक्षिणा से संतुष्ट करते हुए आशीष भी प्राप्त किया। एकादशी की रात्रि को भगवान श्री हरि का ध्यान करते हुए उसे भगवान श्री हरि विष्णु के दर्शन प्राप्त हुए और भगवान ने उसे आशीष प्रदान करते हुए कहा – “हे वत्स, में तुम्हारी भक्ति और एकादशी तिथि पर किए गये मेरे पूजन और व्रत से अति प्रसन्न हूँ अतः में तुम्हें इस ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त करता हु।

यह कामिका एकादशी(Kamika Ekadashi) का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलानेवाला अमोघ व्रत है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति प्राप्त कर सकता है और अपने अंत समय में भगवान श्री हरि के धाम चला जाता है। इस कामिका एकादशी के व्रत कथा का श्रवण या पाठ करने मात्र से मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति है।

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