एक समय की बात है जब राजा मान्धाता ऋषि वशिष्ठ के आश्रम पहुंचे और उनसे निवेदन करने लगे। राजा मान्धाता – “हे मुनिवर, आप सर्व वेदो के ज्ञाता है। आप मुझ पर कृपा करें और मुझे कोई ऐसी कथा सुनाये की जिससे मेरा कल्याण हो।” महर्षि वशिष्ठ – “हे राजन, तुमने बड़ा ही उत्तम विचार प्रगट किया है। सर्व कल्याण हेतु आज में तुम्हे एक ऐसी कथा अवश्य सुनाऊंगा। सभी व्रतो में सबसे उत्तम और मनुष्य के अंत समय में उसे मोक्ष प्रदान करने वाली आमलकी एकादशी की कथा आज...
एक समय की बात है किसी गांव में एक भाई- बहन रहते थे बहन की शादी हो चुकी थी । एक दिन भाई अपनी बहन से मिलने के लिए उसके ससुराल जा रहा था, रास्ते में भाई को एक सांप मिला और बोला मैं तुझे डसूंगा भाई बोला हे नाग देवता मैंने ऐसा कौन सा अपराध किया है जो आप मुझे डसोगे मैं अपनी माँ बाप का एक ही पुत्र हूँ, बहन का एक ही भाई हूँ, मेरी पत्नी और मेरे बच्चे घर पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, आप मुझे क्यों...
एक समय की बात है, भगवान शंकर, माता पार्वती जी एवं नारदजी के साथ भ्रमण हेतु चल दिए। वे चलते-चलते चैत्र शुक्ल तृतीया को एक गाँव में पहुँचे। उनका आगमन सुनकर ग्राम की निर्धन स्त्रियाँ उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी एवं अक्षत लेकर पूजन हेतु तुरतं पहुँच गई। पार्वती जी ने उनके पूजा भाव को समझकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटीं। धनी वर्ग की स्त्रियाँ थोडी देर बाद अनेक प्रकार के पकवान सोने-चाँदी के थालो में सजाकर पहुँची। इन स्त्रियाँ को देखकर...
एक बुढ़ि माँ थी। जिसके कुल सात बेटे थे। छे अपनी अपनी जगा काम में व्यस्त रहते और एक निक्कमा रहता था। माता अपने सभी छे बेटों के लिये रसोई बनती थी लेकिन उस सातवे बेटे का हमेशा तिरस्कार करती और उसे उन छे बेटों की जूठन खिलाती थी। एक दिन वो निकम्मा बेटा अपनी बीवी से कहने लगा – “देखा, मेरी माँ मुझे कितना प्यार करती है।” बीवी ने कहा – “क्योंकि नहीं, अपने सभी छे बेटों का झूठा जो खिलाती है तुम्हे।” बेटा – “ये क्या बोल रही...
पौराणिक काल में अयोध्यापति महाराज सगर ने एक बार विशाल यज्ञ का आयोजन किया (कराया )और उसकी (उसके) देखरेख की जिम्मेदारी अपने पौत्र अंशुमान को सौंप दी। यज्ञ में विघ्न डालते हुए देवराज इंद्र ने राजा सगर के यज्ञीय अश्व का अपहरण कर लिया और उसे ले जाकर पाताल लोक में कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। घोड़े की खोज में सगर के पुत्रों ने धरती की खुदाई शुरू की और आखिरकार उन्होंने कपिल मुनि के आश्रम को ढूंढ निकाला। इस कोलाहल से कपिल मुनि की तपस्या भंग हो...
गर्गाचार्य जी ने कहा - "हे महामते! आपने भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु समस्त प्रदोष व्रतों का वर्णन किया। कृपया अब शनि प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन करें।" सूतजी ने कहा - "हे ऋषिवर! निश्चय ही भगवान शिव एवं देवी पार्वती के चरण कमलों में आपका अनन्य प्रेम है। अतः मैं आपके समक्ष शनि त्रयोदशी व्रत की विधि का वर्णन करता हूँ, आप ध्यानपूर्वक श्रवण करें। प्राचीन कथा के अनुसार किसी ग्राम में एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी सहित निवास करता था। एक दिन अपनी निर्धनता एवं दरिद्रता से व्यथित होकर उस ब्राह्मण की पत्नी शाण्डिल्य ऋषि के समक्ष पहुँची तथा...
भगवान शिव हिन्दु धर्म के सर्वोच्च आराध्य देवताओं में से हैं। शिव जी की पूजा न केवल भोग अपितु परमदुर्लभ मोक्ष गति देने में सक्षम है। शिवजी को प्रसन्न करने के उद्देश्य से की गयी पूजा-अर्चना, व्रत और उपवास कभी भी निष्प्रभावी नहीं होता। शिव महापुराण और जाबालि श्रुति आदि में ऐसे दस शैवव्रतों की चर्चा होती है जिससे शिव जी परम प्रसन्न होते हैं और सर्व मनोकामनाओं को पूर्ण करके सद्गति प्रदान करते हैं। किन्तु कलिकाल में इन व्रतों का पालन करना बड़ा कठिन है। पूर्वकाल में भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और माता पार्वती...
सनत्कुमार निवेदन करते हैं, "हे भगवान शिव! यदि कुलीन स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य, महाभाग्य तथा पुत्र-पौत्र आदि का सुख प्रदान करने वाला व्रत हो, तो कृपा करके उसका वर्णन करें?" भगवान शिव ने कहा, "मद्र देश में अश्वपति नाम का एक राजा था। अश्वपति अत्यन्त धर्मात्मा, ज्ञानी, वीर तथा वेद-वेदाङ्गों का ज्ञाता था। अति बलशाली एवं समस्त प्रकार के ऐश्वर्यों से युक्त होते हुये भी राजा के जीवन में सन्तान का आभाव था। सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से राजा अपनी धर्मपत्नी सहित विभिन्न प्रकार से तप, पूजा तथा आराधना करने लगा। राजा अश्वपति देवी सावित्री के मन्त्रों का...