माता पार्वती जी ने गणेश जी से कहा कि - "हे वत्स! आषाढ़ माह की कृष्ण चतुर्थी (अमान्त ज्येष्ठ माह) को अत्यन्त शुभदायक एवं मंगलकारी बतलाया गया है। आप उसकी कथा, महात्म्य एवं विधान का वर्णन कीजिये। आषाढ़ माह के गणेश जी का क्या नाम है तथा उनका पूजन किस प्रकार करना चाहिये?" गणेश जी ने उत्तर दिया - "हे माता! पूर्वकाल में इसी प्रश्न को युधिष्ठिर ने पूछा था तथा उन्हें जो भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया था, मैं वही वर्णन कर रहा हूँ, आप श्रवण करें।" श्रीकृष्ण ने कहा हे - 'नृपश्रेष्ठ युधिष्ठिर! गणेश जी की प्रीतिकारक,...
एक कथा के अनुसार माँ पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर ही काटे और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा ही ग्रहण कर जीवन व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुःखी थे। इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के विवाह का...
एक समय की बात है, घने वन के समीप स्थित एक गाँव में एक दयालु एवं धर्म परायण स्त्री निवास करती थी। उसके सात पुत्र थे। कार्तिक का महिना था तथा दीवाली का उत्सव आने ही वाला था। इसीलिये दीवाली उत्सव से पूर्व महिला ने घर में लीपने-पोतने एवं साज-सज्जा का कार्य करने का निर्णय किया। अपने घर को लीपने के लिये, वह मिट्टी लेने वन में पहुँची। वन में उस महिला की दृष्टि मिट्टी के एक टीले पर पड़ी। वह कुदाल लेकर उस टीले से मिट्टी निकालने लगी। वह...
बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वेदशर्मा का विवाह लीलावती से हुआ था जिससे उसके सात महान पुत्र और वीरावती नाम की एक गुणवान पुत्री थी। क्योंकि सात भाईयों की वह केवल एक अकेली बहन थी जिसके कारण वह अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने भाईयों की भी लाड़ली थी। जब वह विवाह के लायक हो गयी तब उसकी शादी एक उचित ब्राह्मण युवक से हुई। शादी के बाद वीरावती जब अपने माता-पिता के यहाँ थी तब उसने अपनी भाभियों के साथ पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ...
महामुनि ऋषि व्यास जी ने कहा, "बहुत समय पूर्व नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादिक अट्ठासी हजार ऋषियों ने पुराणवेत्ता श्री सूतजी से पूछा, "हे सूतजी! इस कलियुग में वेद-विद्या-रहित...