वैष्णो देवी मंदिर
धार्मिक स्थल

वैष्णो देवी मंदिर , जम्मू और कश्मीर 

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वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मातारानी का मंदिर। यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है।मंदिर में दुर्गा को समर्पित 108 महा (प्रमुख) शक्ति पीठों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिन्हें वैष्णो देवी के रूप में पूजा जाता है। दुर्गा के प्रमुख पहलू होने के कारण, हिंदू वैष्णो देवी को काली, सरस्वती और लक्ष्मी का अवतार मानते हैं। यह भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थस्थलों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। और नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान, यह संख्या बढ़कर एक करोड़ तक पहुंच जाता है।

वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास

अधिकांश प्राचीन तीर्थस्थलों की तरह, यह बताना कठिन है कि इस पवित्र तीर्थस्थल की तीर्थयात्रा वास्तव में कब शुरू हुई। इस पवित्र गुफा के वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि यह लगभग दस लाख वर्ष पुरानी है। इस पवित्र गुफा का पहला उल्लेख महाकाव्य महाभारत में मिलता है। यह वह समय था जब पांडव और कौरव कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में आमने-सामने थे; श्री कृष्ण की सलाह पर, अर्जुन ने विजय का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वहाँ तपस्या की। यहीं पर अर्जुन ने देवी माँ को ‘जम्बूकटक चित्यैषु नित्यं सन्निहितालये’ कहकर संबोधित किया, जिसका अर्थ है ‘आप जो सदैव जम्बू पर्वत की ढलान पर स्थित मंदिर में निवास करती हैं’ (ऐसा माना जाता है कि इसे वर्तमान जम्मू कहा जाता है)।

यह भी माना जाता है कि पांडवों ने ही सबसे पहले देवी माँ के प्रति कृतज्ञता स्वरूप कोल कंडोली मंदिर और मुख्य भवन का निर्माण करवाया था। संभवतः इस पवित्र गुफा का एक और उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा भी मिलता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पुरमंडल के रास्ते वहाँ गए थे। 

वैष्णो देवी मंदिर के खुलने और बंद होने का समय

वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू वाला) पूरे साल 24 घंटे खुला रहता है। लेकिन भारी बर्फबारी होने पर यात्रा कठिन हो सकती है या मार्ग अस्थायी रूप से बंद भी हो सकते हैं।  

वैष्णो देवी मंदिर पूजा का समय

गर्मियों में

सुबह की आरती: 6:00 बजे – 7:00 बजे

शाम की आरती: 7:00 बजे – 8:00 बजे

सर्दियों में

सुबह की आरती: 6:20 बजे – 8:00 बजे

शाम की आरती: 6:20 बजे – 8:00 बजे

वैष्णो देवी मंदिर की वास्तुकला

वैष्णो देवी मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जिसमें तीन पिंडियों के रूप में माता के तीन रूपों – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा की जाती है। यह मंदिर हजारों वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। गुफा के अंदर एक जलधारा प्रवाहित होती है, जिसे पवित्र माना जाता है। वर्तमान में, मंदिर को अत्यधिक व्यवस्थित और संरक्षित किया गया है, जिससे भक्तों को यात्रा में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

वैष्णो देवी मंदिर की कथा

मां वैष्णो देवी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में श्रीधर नाम के एक भक्त रहते थे, जो दिन-रात माता के भक्ति में लीन रहते थे। एक दिन माता ने उन्हें कन्या रूप में दर्शन दिए और कहा कि वह एक भव्य भंडारा आयोजित करें। माता के आशीर्वाद से श्रीधर ने भंडारा किया, जिसमें भैरव नाथ को भी बुलाया गया। भैरव नाथ ने भंडारे में मांस और शराब की मांग की, जो वैष्णव रीति के खिलाफ था। जब कन्या रूपी मां ने उसे मना किया, तो भैरव नाथ ने गुस्से में आकर माता को पकड़ने की कोशिश की। तब मां ने अपना रूप बदलकर त्रिकुटा पर्वत की ओर प्रस्थान किया। मान्यता है कि उस वक्त माता वैष्णो की रक्षा के लिए हनुमान जी भी वहां थे। इसी बीच जब हनुमान जी को प्यास लगी, तो मां ने धनुष-बाण से पहाड़ में पानी की धारा बहा दी, जो बाद में बाणगंगा के नाम से मशहूर हो गई। इसके बाद माता एक गुफा में तपस्या करने चली गईं। भैरव नाथ ने जब मां का पीछा करते हुए गुफा तक पहुंचने की कोशिश की, तो मां ने उसका वध कर दिया। मरने से पहले भैरव नाथ ने अपनी गलती की माफी मांगी और मां ने उसे आशीर्वाद दिया कि अब जब भी कोई भक्त मेरे दर्शन करेगा, तो उसे भैरव नाथ के मंदिर में भी जाना होगा, क्योंकि बिना उनके दर्शन के मां के दर्शन अधूरे माने जाएंगे। कहा जाता है कि अर्द्धकुंवारी मंदिर और भैरव नाथ के दर्शन से भक्तों को जीवन में शांति और माता का आशीर्वाद मिलता है।

वैष्णो देवी मंदिर कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग 

  • निकटतम हवाई अड्डा जम्मू एयरपोर्ट (सतवारी एयरपोर्ट) है, जो कटरा से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।
  • जम्मू एयरपोर्ट से कटरा तक टैक्सी, बस या हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है।

रेल मार्ग 

  • कटरा रेलवे स्टेशन (श्री माता वैष्णो देवी कटरा) देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और अहमदाबाद जैसे शहरों से सीधी ट्रेन सेवाएँ उपलब्ध हैं।
  • जम्मू तवी रेलवे स्टेशन भी एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है, जहाँ से कटरा के लिए नियमित ट्रेनें मिलती हैं।

सड़क मार्ग

  • कटरा तक पहुँचने के लिए जम्मू और अन्य प्रमुख शहरों से बस, टैक्सी और निजी वाहनों की सुविधा उपलब्ध है।
  • जम्मू-कटरा हाईवे अच्छी तरह से विकसित है, जिससे यात्रा सुगम होती है।

कटरा से मंदिर तक यात्रा की सुविधाएं

  • कटरा से वैष्णो देवी भवन तक जाने के लिए 12.5 किलोमीटर का पैदल मार्ग है।
  • श्रद्धालु पैदल, टट्टू, पालकी, बैटरी कार या हेलीकॉप्टर का उपयोग कर सकते हैं।
  • हेलीकॉप्टर सेवा कटरा से संझीछत तक उपलब्ध है, जहाँ से भवन तक 2.5 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
  • वैकल्पिक रूप से, बैटरी कार सेवा अरधक्वारी से भवन तक उपलब्ध है।

यात्रा के लिए सर्वोत्तम समय

  • मार्च से जुलाई: इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और यात्रा आसान होती है।
  • सितंबर से नवंबर: यह भी यात्रा के लिए उत्तम समय है क्योंकि इस दौरान बारिश कम होती है।
  • नवरात्रि: नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन होते हैं, और इस समय यात्रा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। हालांकि, इस दौरान भीड़ बहुत अधिक होती है
  • सर्दियों में यात्रा: दिसंबर से फरवरी के बीच यात्रा करना कठिन हो सकता है क्योंकि इस दौरान ठंड अधिक होती है और बर्फबारी भी हो सकती है।

यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें 

  • यात्रा के दौरान आरामदायक जूते पहनें।
  • मौसम के अनुसार कपड़े साथ रखें।
  • वैध पहचान पत्र और यात्रा पर्ची अपने पास रखें।
  • हेलीकॉप्टर सेवा का लाभ उठाने के लिए पहले से बुकिंग करें।
  • मंदिर परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है, इसलिए अपने मोबाइल और कैमरे के प्रयोग से बचें।
  • विशेष भीड़ के दौरान दर्शन की योजना पहले से बना लें और ऑनलाइन बुकिंग का लाभ उठाएँ।







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