लक्ष्मी पंचमी व्रत सम्पूर्ण कथा
एक बार मां लक्ष्मी देवताओं से रूठ गई और क्षीर सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से समस्त देवता श्री विहीन हो गए। तब देवराज इंद्र ने माता को पुन: प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की और व विशेष विधि-विधान से उनके लिए व्रत रखा। उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी लक्ष्मी जी की उपासना की इस पूजा से देवी अत्यधिक प्रसन्न हुई और अपने भक्तों की पुकार सुनी। व्रत समाप्ति के पश्चात माता पुन: उत्पन्न हुई और उनका विवाह श्री हरि विष्णु के साथ सम्पन्न हुआ। देवता फिर से माता की कृपा पाकर धन्य हुए। ऐसा मानना है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। यही कारण था कि इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।
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