व्रत कथाएँ

शाकंभरी जयंती व्रत सम्पूर्ण कथा

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मां शाकंभरी की पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्‍वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया। इस तरह करीब सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण अन्न-जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे लोग मर रहे थे। जीवन खत्म हो रहा था। उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद चुरा लिए थे।

तब आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप मां शाकंभरी देवी में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे। उन्होंने रोना शुरू किया, रोने पर आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया। अंत में मां शाकंभरी दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया 

एक अन्य दंत कथा के अनुसार

पार्वतीजी ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या की। उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया था तथा जीवित रहने के लिए केवल शाक सब्जियां ही खाईं। इसलिए उनका नाम शाकंभरी रखा गया।

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