
दिवाली एक रोशनी का त्योहार है, जो हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है, मुख्य रूप से भगवान राम के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा धन-समृद्धि के लिए की जाती है. यह त्योहार घरों को दीयों से रोशन करने, नए कपड़े पहनने, मिठाई बांटने और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने का भी अवसर है. यह त्योहार जैन, सिख और बौद्ध समुदायों के लिए भी महत्व रखता है, जैसे जैन धर्म में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस और सिखों के लिए बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है.
दिवाली का महत्व

दीपावली, जो भारत में एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सफलता, सौभाग्य, और प्रकाश की स्वरूपनी मिलने का प्रतीक है। दीपावली का महत्व धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक है। इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जब उन्होंने लंका के राक्षसराज रावण को पराजित किया था। इस दिन अयोध्या ने बेहद खुशी मनाई और दीपों से नगर को रोशन किया। दीवाली इस समय की जीत और अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
दिवाली 2025 मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा सोमवार, अक्टूबर 20, 2025 पर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 07:08 पी एम से 08:18 पी एम
प्रदोष काल – 05:46 पी एम से 08:18 पी एम
वृषभ काल – 07:08 पी एम से 09:03 पी एम
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
दिवाली पूजा विधि

साधक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की नवीन प्रतिमा स्थापित करें। अब ध्यान मंत्र और आवाहन मंत्र का पाठ करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान या शास्त्र नियमों का पालन कर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती करें।
दिवाली की कथा
किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी एक बेटी थी। वह रोजाना घर के सामने लगे पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। उस पीपल में लक्ष्मीजी का वास था। एक दिन उसी पीपल के पेड़ से लक्ष्मीजी प्रकट हो गई और साहूकार की बेटी से बोलीं, ‘मैं तुझसे बहुत प्रसन्न हूं। इसलिए तुझे सहेली बनाना चाहती हूं।’ साहूकार की बेटी बोली, ‘क्षमा कीजिए, मैं अपने माता-पिता से पूछकर ही बताऊंगी।’ उसने घर आकर अपने माता-पिता से सारी बातें कहीं और उनकी आज्ञा से लक्ष्मी जी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस तरह वे दोनों सहेलियां बन गई। लक्ष्मीजी उससे बहुत प्रेम करती थीं। एक दिन लक्ष्मीजी ने उसे भोजन के लिए बुलावा दिया। जब साहूकार की बेटी भोजन करने के लिए पहुंची तो लक्ष्मी जी ने उसे सोने-चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया। सोने की चौकी पर बिठाया और उसे बहुत कीमती रेशमी कपड़े ओढ़ने-पहनने के लिए दिए। इसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा कि कुछ दिन बाद मैं तुम्हारे यहां आऊंगी। साहूकार की बेटी ने ‘हां’ कर दी और घर चली आई। उसने जब सारी बातें माता-पिता को बताई तो वे बहुत खुश हुए। लेकिन बेटी कुछ सोचकर उदास होकर बैठ गई। जब साहूकार ने इसका कारण पूछा तो उसकी बेटी बोली, ‘लक्ष्मीजी का वैभव बहुत बड़ा है। मैं उन्हें कैसे संतुष्ट कर सकूंगी?’ यह सुनकर पिता ने कहा कि घर की जमीन को अच्छी तरह लीपना और अपनी पूरी श्रद्धा से रूखा-सूखा जैसा भी भोजन बने, उसे बहुत प्रेम से लक्ष्मीजी को खिला देना। पिता बात पूरी ही करने वाले थे कि एक चील कहीं से उड़ती हुई आई और बेशकीमती नौलखा हार साहूकार के आंगन में गिराकर चली गई। यह देखकर साहूकार की बेटी खुश हो गई। उसने पिता की बात मानी और घर को सुंदर तरीके के सजाया। जमीन की सफाई-लिपाई की। चील ने जो हार उनके घर में गिराया था, उसे बेचकर लक्ष्मीजी के लिए अच्छे भोजन का इंतजाम किया। उन्होंने सोने की चौकी और रेशमी दुशाला खरीदा। जब लक्ष्मीजी घर आई तो साहूकार की बेटी ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। इस पर लक्ष्मी जी ने कहा, ‘इस पर तो राजा-रानी बैठते हैं।’ इतना कहकर वह साफ जमीन पर ही आसन बिछाकर बैठ गई और बहुत प्रेम से भोजन किया। वह साहूकार के परिवार के आदर-सत्कार से बहुत खुश हुई और उनका घर सुख-संपत्ति से भर गई। हे लक्ष्मी माता! जिस तरह आपने साहूकार के परिवार पर अपनी कृपा बरसाई, उसी तरह सबके घरों को सुख-संपत्ति से भर देना।
दिवाली के दिन क्या करें

- प्रदोष काल के दौरान पूजा करें।
- वेदी पर ही प्रतिमा को स्थापित करें।
- अपने घर को साफ रखें
- शुभता और अच्छे भाग्य के लिए सोना और चांदी की वस्तुएं घर लाएं व मां लक्ष्मी को चढ़ाएं।
- वेदी का स्थान ईशान कोण और मूर्तियों का स्थान घर के पूर्वी कोने में होना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा घर में दीपक जलाएं और पूरे घर को रोशन करें।
- घर पर सात्विक भोजन बनाएं।
- मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और उन्हें खीर का भोग लगाएं।
- पूजन के लिए मिट्टी या चांदी की मूर्तियों को प्राथमिकता दें।
- पूजा करते समय शांति और पवित्रता बनाए रखें।
दिवाली के दिन क्या ना करें

- पूजा के दौरान जूते-चप्पलों को दूर रखें।
- दीवाली के दिन रात भर अखंड दीये को भरते रहें ताकि लौ बुझ न जाए।
- इस मौके पर लोहे के बर्तनों का प्रयोग न करें।
- इस शुभ दिन पर भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे – मांस प्याज, लहसुन और अंडे आदि का सेवन न करें।
- अपनी पत्नी, मां, बहन और बेटी का अनादर न करें, क्योंकि इससे जीवन में अशुभता आती है।
- दिवाली के दिन किसी को पैसे उधार न दें।
- लक्ष्मी पूजा के दौरान कभी भी काले रंग के कपड़े न पहनें।
- विवाद करने से बचें।