
विवाह पंचमी 2025
विवाह पंचमी का दिन जीवन के आदर्श मूल्यों को अपनाने का संदेश देता है। भगवान राम और सीता का विवाह एक आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है। उनका संबंध समर्पण, सम्मान और प्रेम पर आधारित था, जिसे देखकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है। इस दिन भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह पंचमी पर दान-पुण्य करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विवाह पंचमी के दिन देशभर के राम मंदिरों में भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं। विशेष रूप से अयोध्या, जनकपुर, और अन्य पवित्र स्थलों पर इस दिन का बड़ा महत्व होता है। यहां भजन-कीर्तन, रामायण पाठ, और विवाह उत्सव का मंचन भी किया जाता है।
विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी भगवान राम और देवी सीता के विवाह की सालगिरह है, जो हर साल आदर्श प्रेम, भक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक मानी जाती है। इस शुभ अवसर पर भक्त राम-सीता की पूजा करते हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त श्रद्धा के साथ रामदरबार की आराधना करते हैं, उनके जीवन के सभी संकटों का नाश होता है।
विवाह पंचमी 2025 मुहूर्त
विवाह पञ्चमी मंगलवार, नवम्बर 25, 2025 को
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 24, 2025 को 09:22 पी एम बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त – नवम्बर 25, 2025 को 10:56 पी एम बजे
विवाह पंचमी पूजा सामग्री
श्रीराम और माता सीता की मूर्ति, लाल रंग का वस्त्र, दीपक, धूपबत्ती, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, फल, मिठाई, नैवेद्य गंगाजल, चौकी, कलश, कौड़ी, तुलसी का पत्ता
विवाह पंचमी पूजा विधि

- विवाह पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर श्रीराम और माता सीता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- कलश में गंगाजल भरकर उसे चौकी पर स्थापित करें।
- गंगाजल से भगवान श्रीराम का अभिषेक करें।
- भगवान के मस्तक पर चंदन, रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
- भगवान श्रीराम और माता सीता को फूल अर्पित करें।
- भगवान श्रीराम और माता सीता को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- भगवान श्रीराम और माता सीता की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- विवाह पंचमी की कथा सुनें।
विवाह पंचमी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अवतार लेकर राजा दशरथ के घर श्री राम के रूप में जन्म लिया था. दूसरी ओर, मिथिला के राजा जनक हल चलाते समय धरती से उत्पन्न एक कन्या मिलती हैं, जिन्हें वे अपनी पुत्री मानकर सीता नाम देते हैं. सीता जब बड़ी हो जाती है तब राजा जनक अपनी पुत्री के लिए उपयुक्त वर की तलाश हुते स्वयंवर का आयोजन करते है, जिसमें एक शर्त रखी जाती है कि जो भी भगवान शिव का अदम्य धनुष तोड़ेगा, वह सीता से विवाह कर पाएगा. इस अद्भुत धनुष को तोड़ना असंभव माना जाता था.
स्वयंवर में अनेक राजकुमार आते हैं, लेकिन कोई भी धनुष को उठाने में सफल नहीं होता. तभी श्रीराम, जो अपने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर स्वयंवर में आए थे, धनुष के पास जाते हैं. शांतचित्त होकर वे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और जैसे ही वे खींचते हैं, धनुष दो टुकड़ों में बंट जाता है. इस अद्भुत घटना से सभी चकित रह जाते हैं. फिर सीता श्रीराम के निकट आईं. सखियों के बीच में जानकी आईं, तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा. उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे थे, मानो डंडियों सहित दो कमल चंद्रमा को देखते हुए जयमाला दे रहे हों. तब सीताजी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहना दी.
यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे. नगर और आकश में ढ़ोल बाजे बजने लगे. जिसके बाद श्रीराम और सीता का विवाह धूमधाम से संपन्न होता है. जिसके बाद से ही हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह की वर्षगाठ के रूप में मनाया जाता है.
विवाह पंचमी के दिन क्या करें

- विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा के अलावा पवित्र नदी में स्नान करना और गरीबों को दान देना बेहद शुभ माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाता है।
- विवाह पंचमी के दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इसमें प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन करना वर्जित होता है।
- इस दिन राम और सीता के मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन करें। कुंवारी कन्याएं 108 बार जानकी मंत्र का जाप कर सकती हैं, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है।
विवाह पंचमी के दिन क्या ना करें

- विवाह पंचमी के दिन अंडा, मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
- विवाह पंचमी के दिन बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है।
- इस दिन जुआ खेलने और अन्य गलत कार्यों से दूर रहें। यह न केवल अशुभ होता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अनुचित माना जाता है।
- अपने जीवनसाथी या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इस दिन किसी भी प्रकार के झगड़े या बहस से बचें।