स्तोत्र (stotra)

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र | मां यमुना की महिमा का दिव्य वर्णन (Maa Yamuna Sahasranama Stotra Lyrics with Meaning) – ज्ञान की बातें

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श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र यमुना देवी की स्तुति में रचित एक दिव्य स्तोत्र है। ईस स्तोत्र के पाठ से जीवन के सभी पापों का नाश, होता है मन की शुद्धि और श्रीकृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है। यमुनाजी को भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी और कलिंदी के नाम जाना जाता है। गर्ग संहिता में वर्णित श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र उनके सहस्र नामों का दिव्य स्तवन है। यह स्तोत्र सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला तथा श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने का सरल माध्यम है। ईस स्तोत्र का श्रद्धा पूर्व जप करने से जीवन में शांति, समृद्धि और दिव्य आनंद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में यमुना नदी सिर्फ नदी बल्कि गंगा नदी के समान आस्था व विश्वास का प्रतीक हैं। भारत में यमुना नदी को जीवनदायिनी नदी माना जाता है और मां स्वरूप ईनकी पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री व मृत्यु के देवता यमराज व शनि देव की बहन हैं। ये भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी भी हैं। ईनकी लीलाएं वृंदावन तथा ब्रजभूमि से जुड़ी हुई हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों के मन से मल दूर होता है तथा भक्ति रस की वृद्धि होती है। ब्रजवासी इन्हें यमुना मैया कहकर पुकारते हैं।

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र का इतिहास और महत्व

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र माँ गंगा को समर्पित है ईस स्तोत्र के पाठ से जीवन के सभी पापों का नाश होता है और मन की शांति वह भक्ति की वृद्धि प्राप्त होती है यह स्तोत्र माँ यमुना की आराधना का श्रेष्ठ साधन है, जिससे साधक को आध्यात्मिक आनंद, मोक्ष और दिव्य कृपा प्राप्त होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना की पूजा की जाती है। कथा के अनुसार, इसी दिन यमुना जी के सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हे वरदान दिया था कि जो कोई यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करेगा उसे अकाल मृत्यु और नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिल जाएगी। यम द्वितीया के दिन यमुना स्नान कर श्री यमुनाष्टक स्तोत्र का पाठ करना बहोत शुभ माना जाता है ऐसा करने से मनुष्य के सभी प्रकार के रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र के संस्कृत श्लोक एवं हिन्दी अर्थ

मुरारिकायकालिमाललामवारिधारिणी तृणीकृतत्रिविष्टपा त्रिलोकशोकहारिणी । 1

मनोऽनुकूलकूलकुञ्जपुञ्जधूतदुर्मदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

मलापहारिवारिपूरिभूरिमण्डितामृता भृशं प्रवातकप्रपञ्चनातिपण्डितानिशा । 2 ॥

सुनन्दनन्दिनाङ्गसङ्गरागरञ्जिता हिता धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

लसत्तरङ्गसङ्गधूतभूतजातपातका नवीनमाधुरीधुरीणभक्तिजातचातका । 3 ॥

तटान्तवासदासहंससंसृताह्निकामदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

विहाररासस्वेदभेदधीरतीरमारुता गता गिरामगोचरे यदीयनीरचारुता । 4॥

प्रवाहसाहचर्यपूतमेदिनीनदीनदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

तरङ्गसङ्गसैकतान्तरातितं सदासिता शरन्निशाकरांशुमञ्जुमञ्जरी सभाजिता । 5॥

भवार्चनाप्रचारुणाम्बुनाधुना विशारदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

जलान्तकेलिकारिचारुराधिकाङ्गरागिणी स्वभर्तुरन्यदुर्लभाङ्गताङ्गतांशभागिनी ।6॥

स्वदत्तसुप्तसप्तसिन्धुभेदिनातिकोविदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

जलच्युताच्युताङ्गरागलम्पटालिशालिनी विलोलराधिकाकचान्तचम्पकालिमालिनी ।7॥

सदावगाहनावतीर्णभर्तृभृत्यनारदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

सदैव नन्दिनन्दकेलिशालिकुञ्जमञ्जुला तटोत्थफुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसूज्ज्वला ।8॥

जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र हिंदी अनुवाद और अर्थ

देवी यमुना आपकी नदी का जल मुरारी (श्रीकृष्ण) के शरीर के सुंदर अंधकार को धारण करता है, (श्रीकृष्ण के स्पर्श के कारण) स्वर्ग को घास के तिनके की तरह महत्वहीन बना देता है और तीनों लोकों के दुखों को दूर करने के लिए आगे बढ़ता है, आपके नदी तटों पर मनमोहक उपवन हैं जो हमारे अहंकार को झकझोर कर दूर कर देते हैं, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन की अशुद्धियों को हमेशा के लिए दूर कर दो।

देवी यमुना, आपकी नदी का पानी जो अशुद्धियों को दूर कर देता है, जो भरपूर मात्रा में अमृत जैसे गुणों से भरा हुआ है, जो पापियों के अंदर बैठे पापों को खत्म कर देता है, जो पुण्यात्मा नन्द गोप के पुत्र के स्पर्श से रंजित होने के कारण अत्यन्त कल्याणकारी है, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन की अशुद्धियों को हमेशा के लिए धुल डालो।

देवी यमुना, आपकी चमकती और चंचल लहरों का स्पर्श जीवित प्राणियों में बढ़ते पापों को धो देता है, आपके नदी तट पर कई चातक पक्षी रहते हैं जो भक्ति से पैदा हुई ताज़ा मिठास रखते हैं, आप कई हम्साओं की इच्छाएं पूरी करती हैं, जो आपके नदी तटों की सीमा पर एकत्रित होते हैं और निवास करते हैं, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन की अशुद्धियों को सदैव के लिए धो डालो।

देवी यमुना, आपके शांत नदी तट पर बहती हवा अतीत और रसलीला की यादें और अलगाव की पीड़ा से जुड़ी है, आपकी नदी के पानी की सुंदरता बयां की जाने वाली सीमा से कहीं अधिक है, आपके जल प्रवाह के संयोग से पृथ्वी तथा अन्य नदियाँ भी पवित्र हो गयी हैं, हे कालिंदा पर्वत की बेटी नंदिनी, कृपया मेरे मन से हमेशा अशुद्धियों को दूर करें।

देवी यमुना, आपकी बहती लहरों के संपर्क में रहने से आपके घुमावदार आंतरिक रेत के तट हमेशा चमकते रहते हैं, शरद ऋतु की रात में सुंदर चंद्रमा की किरणों से आपके नदी-शरीर और नदी-तटों की चमक बढ़ जाती है, आप अपने पवित्र जल से धोकर संसार को सजाने का काम करती हैं, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन की अशुद्धियों को सदैव के लिए धो डालो।

देवी यमुना, आपकी नदी-शरीर उस सुंदर राधारानी के स्पर्श से रंगी हुई है जो आपके जल में खेलती थीं, आप उस पवित्र स्पर्श से दूसरों का पोषण करती हैं, जिसे प्राप्त करना बहुत कठिन है, आप उस पवित्र स्पर्श को सप्त सिंधु के साथ चुपचाप साझा करती हैं, आप भेदन में विशेषज्ञ हैं, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन से हमेशा अशुद्धियों को दूर करें।

देवी यमुना, आपकी नदी-शरीर पर अच्युत के शरीर से रंग गिर गया है जब वह मधुमक्खियों की तरह झुंड में आने वाली भावुक महिलाओं के साथ खेलता था और मधुमक्खी जैसे कैम्पका फूल भी, जो राधारानी के लटकते बालों की माला बनाते थे, आपके नदी-तट पर, भगवान के सेवक, ऋषि नारद हमेशा स्नान करने के लिए आते हैं, हे कालिंदा नंदिनी, कृपया मेरे मन से हमेशा अशुद्धियों को दूर करें।

देवी यमुना, आपके नदी-तट पर सुन्दर उपवन हैं, जिनमें नन्द का पुत्र हमेशा खेलता रहता है, आपका नदी तट मल्लिका और कदम्ब के फूलों के पराग से चमक रहा है, जो मनुष्य आपकी नदी के जल में स्नान करते हैं, आप उन्हें भवसागर से पार उतार देती हैं, हे कलिंदा पर्वत की बेटी नंदिनी, कृपया मेरे मन से हमेशा के लिए अशुद्धियों को दूर करें।

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र के लाभ और जाप विधि

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र सर्वसिद्धिकर स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति जीवन के सभी पाप नष्ट होते हैं और मन शुद्ध होता है। वही रोग, बंधन, संतान प्राप्ति तथा ज्ञान की इच्छा पूरी होती है। भक्ति बढ़ती है तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वही जो भक्त बिना किसी कामना के यमुनाजी के ईस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे सभी सुख मिलते हैं।

जाप विधि:

श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र  पाठ करने से पहले स्नान करे फिर सफेद या पीले वस्त्र पहनें। माँ यमुना जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करे अपने पूजा स्थल में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। पाठ शुरू करने से पहले अपनी मनोकामना व्यक्त करें उसके बाद श्री यमुना सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना शुरू करे पाठ के प्रति समर्पण रखें। अंत में मां यमुना आरती करें यमुना सहस्रनाम का पाठ नियमित रूप से 7, 11 या 21 दिनों तक करें। इसे भक्तों को माँ यमुना की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएँ भी पूरी होती है यह पाठ सूर्योदय या सूर्यास्त के समय करना अधिक लाभकारी माना जाता है

निष्कर्ष

यह स्तोत्र पढ़ने वाले भक्तों को गोलोक धाम की प्राप्ती होती है ये नाम यश, कामना पूर्ति तथा महापाप नाश करने वाले हैं। इस स्तोत्र का पाठ करके आप भी मां यमुना जी की कृपा प्राप्त करें। और यदि आप भक्ति में रुचि रखते हैं, तो हमारी वेबसाईट ज्ञान की बातें पर अन्य स्तोत्र जैसे श्री गणेश स्तोत्र और श्री सूर्य स्तोत्र को जरूर पढ़ें तथा इस आर्टिकल को शेयर करें और कमेंट में अपनी अनुभूति बताएं! यमुनाजी की जय!  

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