आश्विन पूर्णिमा: महिमा, व्रत और शुभ मुहूर्त 2026
पूर्णिमासी के दिन

आश्विन पूर्णिमा: महिमा, व्रत और शुभ मुहूर्त 2026

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आश्विन पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन है। यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। 2026 में यह पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आभा के साथ आकाश में चमकता है, जिसे शास्त्रों में अमृतमयी माना गया है। इस लेख में, हम आश्विन पूर्णिमा 2026 की महिमा, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और इस पर्व से जुड़े आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से जानेंगे। हमारा उद्देश्य आपको प्रेरित करना और इस पर्व को उत्साह के साथ मनाने के लिए तैयार करना है। यह लेख ज्ञान की बातें (https://www.gyankibaatein.com) के पाठकों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, ताकि आप इस पर्व को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ मना सकें।

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आश्विन पूर्णिमा का महत्व

आश्विन पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप में होता है, जो इसे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ बनाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख प्रदान करती हैं। यह पर्व माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी विशेष माना जाता है।

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इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “जागृत रहने वाली रात”। मान्यता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागते हुए भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समुदाय को एक साथ लाता है।

आश्विन पूर्णिमा 2026 : तिथि और शुभ मुहूर्त

इस दिन का शुभ मुहूर्त और पारण का समय निम्नलिखित है:

आश्विन पूर्णिमा सोमवार, अक्टूबर 26, 2026 को

Shukla Purnima पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय – 05:34 पी एम

आश्विन पूर्णिमा उपवास रविवार, अक्टूबर 25, 2026 को

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2026 को 11:55 ए एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2026 को 09:41 ए एम बजे

व्रत और पूजा विधि

आश्विन पूर्णिमा का व्रत और पूजा विधि अत्यंत सरल और प्रभावी है। यहाँ व्रत और पूजा की पूरी प्रक्रिया दी गई है:

  1. व्रत की तैयारी: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन सात्विक भोजन करें।
  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए फूल, धूप, दीप, चंदन, रोली, अक्षत, खीर, और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र तैयार करें।
  3. चंद्रमा पूजा: रात में चंद्रमा के उदय होने पर उनकी पूजा करें। चंद्रमा को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाएँ।
  4. लक्ष्मी पूजा: माता लक्ष्मी की पूजा करें। लक्ष्मी मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।
  5. खीर का प्रसाद: रात में खीर को चंद्रमा की किरणों में रखें और सुबह इसका सेवन करें।

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आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

आश्विन पूर्णिमा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है। चंद्रमा की किरणें इस दिन विशेष रूप से शीतल और औषधीय मानी जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, चंद्रमा की किरणों में रखी गई खीर स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।

आध्यात्मिक रूप से, यह दिन मन को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकृति और ईश्वर का संतुलन हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है।

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आश्विन पूर्णिमा पर किए जाने वाले विशेष कार्य

इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से पर्व का महत्व और बढ़ जाता है:

  • दान-पुण्य: इस दिन गरीबों को दान देना शुभ माना जाता है।
  • खीर का वितरण: चंद्रमा की किरणों में रखी खीर को परिवार और पड़ोसियों में बाँटें।
  • जागरण: रात में जागकर भजन-कीर्तन करें और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें।
  • ध्यान और योग: इस दिन ध्यान और योग करने से मानसिक शांति मिलती है।

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लक्ष्मी पूजा और कोजागरी पूर्णिमा

कोजागरी पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन रात में जागकर माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को लाल फूल, कमल और खीर का भोग लगाना शुभ होता है।

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आश्विन पूर्णिमा के लाभ

  • आर्थिक समृद्धि: लक्ष्मी पूजा से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: चंद्रमा की किरणों में रखी खीर का सेवन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  • मानसिक शांति: इस दिन किए गए ध्यान और पूजा से मन को शांति मिलती है।
  • पारिवारिक सुख: यह पर्व परिवार को एकजुट करता है और सुख-समृद्धि लाता है।

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निष्कर्ष

आश्विन पूर्णिमा 2026 एक ऐसा पर्व है, जो हमें आध्यात्मिकता, संस्कृति और प्रकृति के साथ जोड़ता है। इस दिन का व्रत, पूजा और विशेष कार्य न केवल हमें धार्मिक दृष्टि से समृद्ध करते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि भी लाते हैं। ज्ञान की बातें (https://www.gyankibaatein.com) आपको प्रेरित करता है कि आप इस पर्व को पूर्ण श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाएँ। यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति और विश्वास के साथ किया गया हर कार्य हमें ईश्वर के करीब लाता है। आइए, इस आश्विन पूर्णिमा पर हम सभी मिलकर माता लक्ष्मी और चंद्रमा की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सुखमय बनाएँ।

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