
कार्तिक पूर्णिमा: महिमा, व्रत और शुभ मुहूर्त 2026
कार्तिक पूर्णिमा, जिसे Kartik Purnima के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है, और यह पर्व दीप दान, स्नान, और व्रत के माध्यम से आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। Kartik Purnima 2026 में यह उत्सव और भी खास होने वाला है, क्योंकि इस दिन का शुभ मुहूर्त और धार्मिक कर्मकांड भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देंगे।
ज्ञान की बातें पर हम आपको Kartik Purnima 2026 की महिमा, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, और इस पर्व से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। यह लेख न केवल आपके ज्ञान को बढ़ाएगा, बल्कि आपको इस पर्व को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाने के लिए प्रेरित भी करेगा। आइए, इस लेख में हम Kartik Purnima significance, Kartik Purnima vrat, और Kartik Purnima 2026 shubh muhurat के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
Kartik Purnima significance हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष है। यह दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के प्राकट्य और त्रिपुरासुर के वध से जुड़ा हुआ है। कार्तिक मास को भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है, और इसकी पूर्णिमा तिथि को भक्तों के लिए विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
इस दिन को Dev Deepavali के रूप में भी मनाया जाता है, जब देवता धरती पर उतरकर गंगा स्नान और दीप दान का उत्सव मनाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का महत्व न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। यह पर्व एकता, भक्ति, और आत्म-शुद्धि का संदेश देता है। Kartik Purnima 2026 में यह उत्सव और भी भव्य होगा, क्योंकि इस दिन का शुभ मुहूर्त भक्तों को विशेष फल प्रदान करेगा।
प्रमुख विशेषताएँ:
- आध्यात्मिक शुद्धि: गंगा स्नान और दीप दान से आत्मा की शुद्धि होती है।
- पुण्य प्राप्ति: इस दिन दान और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- सामाजिक एकता: यह पर्व समुदाय को एक साथ लाता है और सामाजिक सद्भाव को बढ़ाता है।
कार्तिक पूर्णिमा 2026 : तिथि और शुभ मुहूर्त
इस दिन का शुभ मुहूर्त और पारण का समय निम्नलिखित है:
कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार, नवम्बर 24, 2026 को
पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय – 04:56 पी एम
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 23, 2026 को 11:42 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – नवम्बर 24, 2026 को 08:23 पी एम बजे
कार्तिक पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
Kartik Purnima vrat और पूजा विधि भक्तों को इस पर्व का अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करती है। यहाँ व्रत और पूजा की विस्तृत विधि दी गई है:
व्रत की तैयारी
- संकल्प: प्रातःकाल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- स्वच्छता: घर और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
- सामग्री: पूजा के लिए दीप, धूप, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, और प्रसाद तैयार करें।
पूजा विधि
- गंगा स्नान: यदि संभव हो, गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अन्यथा, घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- देव पूजन: भगवान विष्णु और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें पंचामृत, फूल, और चंदन अर्पित करें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जाप करें।
- दीप दान: सायंकाल नदी या तालाब के किनारे दीप दान करें।
- व्रत कथा: कार्तिक पूर्णिमा की कथा सुनें या पढ़ें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी में बाँटें।
व्रत नियम
- दिनभर उपवास रखें और सात्विक भोजन करें।
- क्रोध, नकारात्मक विचार, और मांसाहार से बचें।
- दिनभर भक्ति भजन और ध्यान में लीन रहें।
कार्तिक पूर्णिमा के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ
Kartik Purnima benefits इस पर्व को और भी खास बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ हैं:
- आत्मिक शुद्धि: गंगा स्नान और दीप दान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- पुण्य प्राप्ति: इस दिन किए गए दान और व्रत से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: भक्ति और ध्यान से मन को शांति मिलती है।
- सुख-समृद्धि: भगवान विष्णु और शिव की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा और दीप दान
Kartik Purnima deep daan इस पर्व का एक अभिन्न हिस्सा है। इस दिन नदियों, तालाबों, और घरों में दीप जलाए जाते हैं, जो प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक हैं। दीप दान की परंपरा त्रिपुरासुर के वध के बाद शुरू हुई थी, और यह आज भी उत्साह के साथ मनाई जाती है।
दीप दान की विधि
- मिट्टी के दीपक में घी या तेल डालें।
- रुई की बत्ती बनाकर दीपक में रखें।
- सायंकाल नदी किनारे या घर के पूजा स्थल पर दीप जलाएँ।
- दीप जलाते समय “ॐ दीपाय नमः” मंत्र का जाप करें।
कार्तिक पूर्णिमा के प्रमुख तीर्थ स्थल
Kartik Purnima pilgrimage sites भक्तों को इस पर्व को और भी भव्यता के साथ मनाने का अवसर देते हैं। कुछ प्रमुख तीर्थ स्थल हैं:
- वाराणसी: गंगा घाटों पर दीप दान और देव दीपावली का उत्सव।
- हरिद्वार: हर की पौड़ी पर गंगा स्नान और पूजा।
- प्रयागराज: संगम में स्नान और दान का विशेष महत्व।
- पुष्कर: पुष्कर सरोवर में स्नान और पूजा।
निष्कर्ष
कार्तिक पूर्णिमा 2026 एक ऐसा पर्व है जो भक्ति, आध्यात्मिकता, और सामाजिक एकता का अनूठा संगम है। Kartik Purnima 2026 में इस पर्व को मनाकर आप न केवल अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करेंगे, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करेंगे। ज्ञान की बातें पर हमारा उद्देश्य आपको ऐसी जानकारी प्रदान करना है जो आपको प्रेरित करे और आपके जीवन को बेहतर बनाए।
इस Kartik Purnima को पूरे उत्साह के साथ मनाएँ, गंगा स्नान करें, दीप दान करें, और भगवान की कृपा प्राप्त करें। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में प्रकाश और भक्ति का महत्व अनमोल है। आइए, इस कार्तिक पूर्णिमा पर अपने मन, कर्म, और विचारों को शुद्ध करें और एक नई शुरुआत करें।