
गोवर्धन पूजा 2025
गोवर्धन पूजा हर साल सम्पूर्ण भारत में दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है इसमे भगवान श्री कृष्ण की तथा और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इसके बाद गाय की पूजा कर उसे गुड और चना खिलाया जाता है।
- गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्योहार ब्रज के साथ साथ भारत के अनेक क्षेत्र में मनाई जाती है।
- इस दिन सबसे पहले गोबर से गोवर्धन पर्वत का पिंड बनाया जाता है।
- इसके बाद गोबर्धन पर्वत तथा भगवान कृष्ण जी की पूजा की जाती है।
- पूजा के बाद अन्नकूट चावल और कढी का भोग लगाया जाता है।
- पर्वत तथा भगवान की पूजा के बाद गाय की पूजा होती है।
- उसे अन्न और नए रस्सी गले में डाली जाती है।
- गाय को स्नानं वगैरह कराकर उन्हे गुड चना आदि खिलाया जाता है।
गोवर्धन पूजा 2025 मुहूर्त
गोवर्धन पूजा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:26 ए एम से 08:42 ए एम
द्यूत क्रीड़ा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – 03:29 पी एम से 05:44 पी एम
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे
गोवर्धन पूजा विधि

1) सबसे पहले गोवर्धन को घर के मुख्य द्वार पर गोबर से लिपकर गोवर्धन भगवान की आकृती बनाई जाती है। इनके साथ ही गाय, बैल आदि की आकृतियां भी बनाई जाती हैं।
2) गोवर्धन की पूजा शाम के समय की जाती है।। शाम के समय एक थाली में चावल, रोली, खीर, दूध, जल, बताशे, आदि रख लें। इसके बाद एक दीपक गोवर्धन महाराज के सामने जलाएं। ‘गोवर्धन धराधार गोकुल- त्राणकारक । विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव ॥ मंत्र का जप करते हुए पुष्प आदि अर्पित करें।
3) ‘लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु ॥’ से प्रार्थना करने के बाद अंत में भगवान की आरती करें। इसके बाद ओम नमः श्री वासुदेवाय। ओम गोवर्धनाय नमः। ओम श्री गोवर्धनाय नमः। इस मंत्र का जप करते हुए गोवर्धन महाराज को भोग लगाकर प्रसाद को सभी लोगों में बांट दें।गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें?
गोवर्धन पूजा कथा
एक बार देवराज इन्द्र को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया। इन्द्र के घमंड को तोड़ने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची, और वह मैया यशोदा के पास गए। उस समय मैया यशोदा भोजन बना रही थी, इन्द्र देव की पूजा के लिए।
भगवान श्री कृष्ण ने मैया से बोला, आप क्या बना रही है? तब मैया यशोदा ने कहा लल्ला मै बारिश के देवता देवराज इन्द्र की पूजा के लिए भोजन बना रही हूँ। तब कृष्ण जी ने कहा ‘मैया देवराज की पूजा करने से क्या फायदा, वो तो हमे कुछ नहीं देते है।
पूजा करनी हो तो पूजा पर्वत और गाय की करो, क्यूकी गोवर्धन पर्वत हमारी गाय के लिए चारा देते है तथा गाय हमे दूध देती है। इसीलिए हमे उनकी पूजा करनी चाहिए। मैया यशोदा ने उन्हे समझाया नहीं लल्ला ऐसा नहीं कहते इन्द्र नाराज हो जाएंगे।
पर भगवान कृष्ण ने उनकी बात न मानी, और सभी गाव वालों तथा यशोदा मैया को पर्वत तथा गाय की पूजा करने के लिए मना लिए।
सभी लोगों ने पर्वत की पूजा की, और यह देख देवराज इन्द्र नाराज हो गए। नाराज इन्द्र ने बारिश शुरू कर दी। 1 हफ्ते लगातार बारिश होने के कारण पूरे गाव में पानी भर गया, और सभी लोग इधर उधर भागने लगे।
तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने एक उंगली से उठा लिया, तथा सभी लोगों से बोला आप सभी इसके नीचे आ जाइए। भगवान श्री कृष्ण की यह बाल लीला देखकर इन्द्रदेव घबरा गए, और समझ गए की यह कोई सामान्य बालक नहीं है।
इन्द्र देव ब्राह्मा जी के पास गए और ब्राह्मा जी को बालक की बारे में बताया। ब्राह्मा जी ने इन्द्र से कहा “वह कोई सामान्य बालक नहीं है, वह साक्षात भगवान विष्णु है, जो जनकल्याण के पृथ्वी पर जन्म लिए है”।
यह सुन इन्द्र को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उसने भगवान श्री कृष्ण अपनी भूल की क्षमा मांगी। तब श्री कृष्ण ने बताया की कभी भी अपने शक्तियों को दुरपयोग नहीं करना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें?

- सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें।
- सात्विक भोजन का सेवन करें।
- भगवान श्रीकृष्ण के नामों का जप करें।
- गोवर्धन पर्वत की विशेष पूजा-अर्चना करें।
- श्रद्धा अनुसार गरीबों में दान करें।
- भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित करें।
- गायों की पूजा करना शुभ होता है।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या न करें?

- किसी से वाद-विवाद न करें।
- अभद्र भाषा का प्रयोग न प्रयोग न करें।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- बड़े-बुर्जग और महिलाओं का अपमान न करें।
- घर को गंदा न रखें।
- गौमाता को परेशान न करें।