
विश्वकर्मा पूजा 2025
विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में हर साल की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सम्पूर्ण ब्रह्माण का शिल्पकार माना गया है। इसीलिए इस दिन सभी व्यापारी अपने कारखानों, मशीनों एवं आजार की पूजा करते है। और भगवान विश्वकर्मा जी से व्यापारिक क्षेत्र में सफलता की प्रार्थना करते है।
- विश्वकर्मा पूजा समान्यतः 1 बार, लेकिन देश के कुछ क्षेत्रों में 2 बार मनाई जाती है।
- यह दिन सभी कारखानों, मूर्तिकारों, बढ़ई के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- इस दिन सभी लोग प्रातः काल स्नान आदि कर कार्यस्थल पर जाते है।
- कार्य स्थल की सफाई आदि कर गंगाजल छिड़कते है।
- इसके बाद रंगोली आदि बना कर विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित होती है।
- इसके दीपक प्रज्ज्वलित कर विश्वकर्मा जी की पूजा होती है।
- इसके बाद भोग लगाकर यही प्रसाद सभी को बाँट दिया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा क्या है?

विश्वकर्मा पूजा, जिसे विश्वकर्मा दिवस के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में समर्पित एक दिन है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार और इंजीनियर हैं। वे एक कुशल शिल्पकार हैं जिन्होंने देवताओं के दिव्य निवासों का निर्माण किया और विभिन्न दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया।
यह त्यौहार भारत में, विशेष रूप से इंजीनियरों, कारीगरों और मजदूरों के बीच, व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह शिल्प कौशल की भावना को श्रद्धांजलि देने और अपने प्रयासों में सफलता और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगने का समय है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व

विश्वकर्मा पूजा का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। यह न केवल दिव्य वास्तुकार का उत्सव मनाता है, बल्कि शिल्प कौशल और श्रम के महत्व को भी दर्शाता है। यह त्योहार समाज के विकास में योगदान देने वाले इंजीनियरों, कारीगरों और श्रमिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण और कौशल का प्रतीक है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके, लोग अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता, समृद्धि और सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और मशीनरी, औजारों और उपकरणों का सुचारू संचालन सुनिश्चित होता है।
विश्वकर्मा पूजा 2025 मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा बुधवार, सितम्बर 17, 2025 को
विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रान्ति का क्षण – 01:55 ए एम
कन्या संक्रान्ति बुधवार, सितम्बर 17, 2025 को
विश्वकर्मा पूजा मंत्र
“ॐ आधार शकतपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अन्नतम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः, ॐ विश्वकर्मणे नमः , ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिधाय विश्वकर्माया नमो नमः”
विश्वकर्मा पूजा कथा
मान्यता है की जब ब्राह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया, तो वह एक अंडे के समान थी जिसे शेष नाग के सिर पर रख दिया गया। परंतु जब भी शेष नाग हिलता था, तो पूरी पृथ्वी को नुकसान सहना पड़ता था। इस बात से परेशान होकर, ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा जी से इसका उपाय पूछा।
तब विश्वकर्मा जी ने नेरु पर्वत के ऊपर पृथ्वी को रखवा दिया, जिससे इसका पूर्ण रूप से समाधान हो गया। विश्वकर्मा जी के इस प्रतिभा से ब्राह्मा जी अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हे सम्पूर्ण सृष्टि का प्रथम शिल्पकार माना गया। इसके अलावा विश्वकर्मा जी ने ब्राह्मण में अनेक वस्तुओ का निर्माण किया।
इसीलिए विश्वकर्मा जी की पूजा कार्यस्थल या व्यपार स्थल पर करने से व्यापार में अपार सफलता प्राप्त होती है। इसीलिए मान्यता है की विश्वकर्मा जी की जयंती पर जो भी भक्त पूजा सच्चे मन से करता है, उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है।