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मकर संक्रांति 2026
त्यौहार (Festival)

मकर संक्रांति 2026

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सूर्य के धनु राशि से निकालकर मकर राशि में प्रवेश करने के दिन ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार भारत के सभी राज्यों एवं पड़ोसी देशों में रीतिरिवाज और धूमधाम से मनाया जाता है।

  • मकर संक्रांति को राज्यों में अलग अलग नमो से जाना जाता, जैसे तमिलनाडु में पोंगल और आंध्रप्रदेश और केरल में संक्रांति, उत्तरप्रदेश में खिचड़ी संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
  • सूर्य के दक्षिण ध्रुव से विषुवत रेखा के उत्तर की जाने के कारण इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है।
  • ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल जनवरी माह के 14 या 15 को पड़ता है।
  • इस पर्व में गंगा स्नान, दानपुण्य आदिकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना करते है।
  • इस पर्व को नए फसल नई ऋतु आने की उत्साह में तथा धार्मिक रूप से भी मनाया जाता है।
  • इस पर्व पर सभी बच्चे, नवजवान, बूढ़े मिलकर पतंग उड़ाते है और एक दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व पर नाचते गाते है।

मकर संक्रांति का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

मकर संक्रांति 2026 मुहूर्त

मकर संक्रान्ति बुधवार, जनवरी 14, 2026 को

मकर संक्रान्ति पुण्य काल – 03:13 पी एम से 05:45 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 32 मिनट्स

मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – 03:13 पी एम से 04:58 पी एम

अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट्स   

मकर संक्रांति पूजा विधि

  • इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान करना चाहिए।
  • फिर सूर्य देव की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए।
  • सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • उनके नामों का जाप, चालीसा, कवच आदि का पाठ करें।
  • फल, मिठाई घर पर बने तिल के लड्डू का भोग लगाएं।
  • आरती से पूजा का समापन करें।
  • खिचड़ी बनाएं, खाएं और उसका दान करें।
  • गरीबों को गर्म कपड़े और जरूरत की चीजें दान दें।
  • इस दिन गाय को हरा चारा खिलाना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है।
  • साथ ही इस दिन तामसिक चीजों से परहेज करें और पिता का अपमान भूलकर भी न करें।

मकर संक्रांति की कथा

धर्म शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की दो पत्नियां थीं. एक छाया और एक संज्ञा. सूर्य देव को उनकी पत्नी छाया से एक पुत्र हुआ जिसका नाम था शनिदेव. सूर्य देव और उनके पुत्र शनिदेव के संबंध अच्छे नहीं थे और इसके पीछे का कारण था शनिदेव की माता छाया के प्रति सूर्य देव का खराब व्यवहार. दरअसल, जब शनिदेव का जन्म हुआ था तो उनका काला रंग देखकर सूर्य देव क्रोधित हो गए और सूर्य देव ने कहा था कि ऐसा पुत्र मेरा नहीं हो सकता है.

शनिदेव के जन्म के बाद से ही सूर्य देव ने शनिदेव और उनकी माता छाया को अलग कर दिया था. शनिदेव और उनकी माता छाया दोनों जिस घर में रहते थे, उसका नाम कुंभ था.सूर्य देव के इस व्यवहार से उनकी पत्नी छाया क्रोधित हुईं और उन्होंने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया. छाया केइस श्राप से क्रोधित होकर सूर्यदेव ने छाया और शनिदेव का घर जला दिया.

इसके बाद सूर्य देव की पहली पत्नी संज्ञा से हुए पुत्र यम ने सूर्य देव को छाया के श्राप से मुक्ति दिलाई. साथ ही, यम ने सूर्य के सामने मांग रखी कि वह माता छाया और शनि के प्रति अच्छा व्यवहार करें. इसके बाद सूर्य को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे पत्नी छाया और पुत्र शनिदेव से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे. जब सूर्य शनि के घर पहुंचे, तो वहां सब कुछ जलकर राख हो गया था.

सूर्य देव को देखकर शनिदेव बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने काले तिल से अपने पिता का स्वागत किया. शनिदेव के इस व्यवहार से सूर्य देव बहुत प्रसन्न हुए. सूर्य देव ने शनिदेव को एक नया घर भेंट किया जिसका नाम मकर था. सूर्य देव के आशीर्वाद से शनिदेव दो राशियां कुंभ और मकर के स्वामी बन गए.

सूर्य देव ने शनिदेव को आशीर्वाद दिया कि वो जब भी उनसे मिलने उनके घर आएंगे तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा. सूर्य ने कहा कि मकर संक्रांति के मौके पर जो भी मुझे काले तिल अर्पित करेगा, उनके जीवन में खुशहाली आएगी. इसी कारण जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव की पूजा में काले तिल का इस्तेमाल करने से धन धान्य की कमी नहीं रहती है.

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए?

  • मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
  • स्नानादि के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें।
  • मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खिचड़ी, मूंगफली, दही, चूड़ा, तिल के लड्डू, गर्म कपड़े और अपने क्षमतानुसार धन का दान कर सकते हैं।
  • इस पर्व पर धार्मिक कार्यों में समय व्यतीत करना चाहिए और ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
  • सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ‘ऊँ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।

मकर संक्रांति के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • मकर संक्रांति के दिन काले रंग का कपड़ा धारण करने से बचना चाहिए और न ही किसी को काले रंग का वस्त्र दान करना चाहिए।
  • मकर संक्रांति के दिन पीले रंग का वस्त्र दान करना उत्तम माना गया है।
  • इस दिन प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा समेत तामसिक भोजन के परहेज से बचना चाहिए।
  • इस पर्व पर दूसरों का अपमान करने से बचें और कटु शब्दों का प्रयोग न करें।
  • मकर संक्रांति के दिन हरे-भरे पेड़ और पौधों का काटने से बचना चाहिए
  • मकर संक्रांति के दिन बिना स्नान किए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।

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