
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार हैं जो सावन माह मे मनाया जाता हैं। इस त्योहार में भगवान शिव की अराधना और नागों की पूजा की जाती है। हर साल सावन माह मे 2 बार नागपंचमी मनाई जाती है।
- कुछ लोग मिट्टी के सांप बनाकर उनकी पूजा और दूध चढ़ाते है।
- नाग पंचमी से एक दिन पहले कुछ व्यक्ति व्रत रखते है जिसे नाग चतुर्थी नाम से जानी जाती है।
- ज्योतिषी के अनुसार नागपंचमी का व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है।
नाग पंचमी का महत्व

- ऐसा माना जाता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
- यह पर्व नागों के प्रति सम्मान और उनकी सुरक्षा का प्रतीक है।
- कहते हैं कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
नाग पंचमी 2026 मुहूर्त
नाग पञ्चमी सोमवार, अगस्त 17, 2026 को
नाग पञ्चमी पूजा मुहूर्त – 05:51 ए एम से 08:29 ए एम
गुजरात में नाग पञ्चम मंगलवार, सितम्बर 1, 2026 को
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 16, 2026 को 04:52 पी एम बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त – अगस्त 17, 2026 को 05:00 पी एम बजे
नाग पंचमी पूजा विधि

- सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- नाग देवता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- अगर मूर्ति न हो तो आटे से सांप बनाकर भी पूजा कर सकते हैं।
- नाग देवता को दूध, जल, हल्दी, रोली, चावल, फूल और मिठाई आदि चीजें अर्पित करें।
- ‘ॐ नागदेवाय नमः’ या ‘ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नागः प्रचोदयात्’ मंत्र का क्षमता अनुसार जप करें।
- नाग पंचमी की कथा सुनें और आरती करें।
- इस दिन नागों को दूध पिलाने के बजाय, उन्हें दूध से स्नान कराना अच्छा माना जाता है, क्योंकि दूध पीने से उन्हें नुकसान पहुंच सकता है।
नाग पंचमी कथा
प्राचीन काल की बात है, किसी गाँव में एक किसान अपने 2 पुत्र और 1 पुत्री के साथ रहता था। एक बार किसान खेत में हल चला रहा था, तभी उससे एक सर्प के तीन बच्चे पर हल चल गया और उनकी मृत्यु हो गई।
अपने बच्चों को मरा देख नागिन अत्यधिक दुखी हुई और किसान से बदला लेने का प्राण किया। रात्रि में जब किसान और उसके बच्चे पत्नी सो गये, तो वह किसान, उसकी पत्नी और उसके पुत्रों को डस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
परंतु किसान की पुत्री बच गई थी। क्यू की नागिन ने उसे गलती से डसा नहीं था। अगले दिन जब नागिन को पता चला की किसान की पुत्री जिंदा है, तो वह दुबारा किसान के घर उसकी पुत्री को डसने गई।
परंतु किसान की पुत्री को यह सब पता था। इसीलिए उसने पहले से नागीन से माफी मांगने और उसके लिए दूध का इंतजाम कर के रखा था। जब नागिन उसे डसने गई तो उसकी पुत्री ने उससे माफी मांगी और उसके भाइयों और पिता से भूल को माफ करने की विनती करने लगी।
नागिन को किसान की बेटी का सत्कार और भूल के एहसास को देखकर दया आ गई, और उसने उसे माफ कर दिया और उसके पिता भाई और माता को जीवित कर दिया। तथा यह आशीर्वाद भी दिया जो भी व्यक्ति नागपंचमी के दिन नागों की सेवा करेगा उसको काल सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
नाग पंचमी पर क्या करना चाहिए

- नाग पंचमी के दिन नाग पूजा के लिए लोग मिट्टी, गोबर, लकड़ी, चांदी, सोने या फिर संदल से नाग की प्रतिमा बनवाकर पूजते हैं. कई जगह पर लोग जीवित सांप लेकर घूमते हैं, जिनका लोग दर्शन एवं पूजन करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं.
- नाग पंचमी के दिन बांबी में सूखे चावल और दूध डाल कर आठ प्रमुख नागों से सुख-सौभाग्य की प्रार्थना की जाती है.
- नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर लगे नाग देवता की मूर्ति पर कच्चा दूध और गंगाजल (Gangajal) चढ़ाना चाहिए. साथ ही साथ नाग देवता की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए भगवान शिव (Lord Shiva) की विशेष पूजा अवश्य करनी चाहिए.
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता के मंत्रों और सर्प सूक्त ( का विशेष रूप पाठ और जप करना चाहिए.
- मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर नाग देवता का चित्र बनाकर पूजा करने पर आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं.
- यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है या फिर आप राहु-केतु के कष्टों से परेशान चल रहे हैं तो नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन भगवान शिव को अर्पित करके बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए. यदि संभव हो तो किसी योग्य विद्वान से कालसर्प की विधि-विधान से पूजा करवानी चाहिए.
नाग पंचमी पर क्या नहीं करना चाहिए

- हिंदू मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन जमीन को खोदना, हल चलाना, हल को उठाना और फूल तोड़ना मना होता है. मान्यता है कि इस दिन जमीन की खुदाई करने पर पृथ्वी के भीतर रहने वाले नाग चोटिल हो सकते हैं.
- नाग पंचमी के दिन किसी भी सर्प को चोटिल करना और उसे मारना बड़ा पाप माना जाता है. यदि किसी के घर के आस-पास सर्प निकलता है तो उसे पकड़वाकर दूर कहीं छोड़ दिया जाता है.
- नाग पंचमी के दिन यदि किसी व्यक्ति के द्वारा गलती से सांप की मृत्यु हो जाए तो उसे अपशकुन माना जाता है. इस पाप से बचने के लिए व्यक्ति को उस नाग की अंत्येष्टि करने तथा चांदी के नाग-नागिन बनवाकर किसी शिव मंदिर में चढ़ाने का विधान है.