बसंत पंचमी की पूजा माँ सरस्वती की उत्पत्ति और बसंत ऋतु आने के उत्साह में की जाती है। बसंत पंचमी हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है इस दिन देवी सरस्वती के साथ भगवान विष्णु व कामदेव की पूजा की जाती है
- बसंत पंचमी की पूजा शिक्षा विभाग, साहित्य, और कला से संबंधित संस्थान में सभी लोग अपने कार्यस्थल, विद्यालय आदि में देवी सरस्वती की पूजा करते है।
- मान्यता है की इस दिन माँ माता सरस्वती का अवतरण और बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है इसीलिए बसंत पंचमी मनाई जाता है।
- बसंत पंचमी के दिन पूजा सूर्योदय के पश्चात परंतु दोपहर के पहले करना होता है।
- अगर बसंत पंचमी की तिथि का आरंभ दोपहर या दोपहर के बाद होती है, तो इस दिन पूजा नहीं होगी बल्कि पूजा अगले दिन होगी।
- यह त्योहार मुख्य रूप से भारत और इसके सभी राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल आदि देशों में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी 2026 मुहूर्त
वसन्त पञ्चमी शुक्रवार, जनवरी 23, 2026 को
वसन्त पञ्चमी सरस्वती पूजा मुहूर्त – 07:13 ए एम से 12:33 पी एम
वसन्त पञ्चमी मध्याह्न का क्षण – 12:33 पी एम
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 23, 2026 को 02:28 ए एम बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त – जनवरी 24, 2026 को 01:46 ए एम बजे
बसंत पंचमी पूजा विधि

- बसंत पंचमी के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान को गंगाजल (गंगाजल रखने के नियम) से शुद्ध करें।
- मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं।
- मां सरवती के समक्ष धूप-दीप, अगरबत्ती जलाएं और उनका ध्यान करें।
- पूजा आसन पर बैठकर ही करें। बिना आसन की पूजा व्यर्थ मानी जाती है।
- मां सरस्वती को तिलक लगाएं और उन्हें माला पहनाएं।
- मां सरस्वती को मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
- मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें।
बसंत पंचमी भोग

- वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की उपासना करें और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि बेसन के लड्डू का भोग लगाने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। और करियर के क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।
- इसके अलावा वसंत पंचमी की पूजा थाली में केसर की रबड़ी भी शामिल करें, क्योंकि केसर की रबड़ी मां सरस्वती को प्रिय है। इससे मां सरस्वती प्रसन्न होंगी और ज्ञान की प्राप्ति होगी। साथ ही उनकी कृपा व्यक्ति पर हमेशा बनी रहेगी।
- वसंत पंचमी के मौके पर मां सरस्वती को मीठे चावल का भोग लगाना शुभ माना जाता है। भोग लगाने के दौरान भोग मंत्र का जप करें। इसके बाद लोगों में प्रसाद बाटें।
- इसके अलावा मां सरस्वती का भोग बूंदी प्रिय मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बूंदी का भोग अर्पित करने से पढ़ाई में सफलता हासिल होती है और मनचाहा करियर मिलता है। साथ ही फूटी किस्मत भी चमक सकती है।
बसंत पंचमी कथा
पौराणिक वसंत पंचमी की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छिड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा।सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।






